Friday, 16 May 2014

क्या आप जानते हैं.

नेत्रज्योति बढ़ाने के लिएःत्रिफला चूर्ण को रात्रि में पानी में भीगोकरसुबह छानकर उसपानी से आँखें धोने 

से नेत्रज्योति बढ़ती है।

कान में पीब(मवादहोने परः शुद्ध सरसों या तिल के तेल में लहसुन की कलियोंको 
पकाकर 1-2 बूँद 

सुबह-शाम कान में डालने से फायदा होता है।

हिचकीः हिचकी बन्द  हो रही हो तो पुदीने के पत्ते या नींबू चूसें।

पपीते खाने से क्या फायदा है पपीता में पोसक तत्व भरपूर मात्रा में होता हैजिससेआपकी त्वचा में निखार 
आता है। त्वचा जवां नजर आती हैझुर्रियाँ कम पड़ती हैंत्वचा में पतलापन  सूखापननहीं होता। यह त्वचा 
को जरूरी पोषण देता है।

केसर बड़े काम की चीज है केसर गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान है। केसर इम्यूनसिस्टम को मजबूत 
करता है। इससे गर्भस्थ शिशु का अच्छा विकास होता हैयानी शारीरिक और मानसिकविकास। यह माँ को 
शक्तिशाली बनाता है। केसर सुरक्षित डिलिवरी के वास्ते बेहद जरूरी है। यह स्त्रियों कीशारीरिक सुंदरता को 
बनाये रखता है। त्वचा में निखार लाता है। गर्भवती महिलाओं को रोज जरा सा केसरडाल कर दूध उबाल कर 
पीना चाहिए।

नारियल तेल से आपकी सुंदरता बढ़ती है। यह हमारी त्वचा को खूबसूरत बनाता है।यह त्वचा का रूखापन 
दूर करता है। यदि एड़ियाँ फटी होंतो रात को लगा कर सो जायेंकुछ दिनों में ठीक होजायेगा। यह त्वचा के 
दाग-धब्बे  निशान को साफ करता है। बालों को चमकदार बनाता हैउन्हें पोषण देताहै। चेहरे  शरीर पर 
नारियल तेल की हल्के हाथों से मालिश करें। यह झुर्रियों को उम्र से पहले आने से रोकताहै।
छाछ : क्या आप जानते हैं कि छाछ गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में अमृत है। इसेसेंधा नमकभुना जीरा
काली मिर्च डाल कर लें। यह पाचन क्रिया ठीक रखने और शरीर को फुर्तीला रखने मेंसहायक है।

दवा से बेहतर व्यायाम हैक्या छोटेक्या बड़ेक्या मोटेक्या पतलेक्या किसीखास बीमारी के शिकार हैं 
यानी रक्तचाप मधुमेह में विशेषज्ञ की सलाह से व्यायाम करें। हर तरह के विकार को दूरकर चुस्तदुरुस्त  
फुर्तीला बनायेगा। व्यायाम का रूटीन बनाये रखें।

आहार को ताकतवर कैसे बनाया जायेरोजाना आहार में फल-सब्जियों को जगहअवश्य दें।चोकर सहित 
(मोटा आटापुराना तथा बिना पॉलिश का चावल खायें।डिब्बा बंद आहार की जगह घरका सादा ताजा भोजन 
करें।थोड़ी मात्रा में सूखे मेवे अवश्य लें। नमक जरा कम लें।प्रतिदिन 10 गिलास पानीपियें।सब्जियों को 
पकाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल करें।

पानी से रोगों की छुट्टी: तांबे के पात्र में पानी : Water in copper vessels :

  रोज पिएंगे तांबे के बर्तन का पानी तो इन 10 बड़े रोगों की छुट्टी हो जाएगी






उज्जैन। कहते हैं कि रात को तांबे के पात्र में पानी रख दें और सुबह इस पानी को पिएं तो अनेक फायदे होते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि यह पानी शरीर के कई दोषों को शांत करता है। साथ ही, इस पानी से शरीर के जहरीले तत्व बाहर निकल जाते हैं। रात को इस तरह तांबे के बर्तन में संग्रहित पानी को ताम्रजल के नाम से जाना जाता है।
ये ध्यान रखने वाली बात है कि तांबे के बर्तन में कम से कम 8 घंटे तक रखा हुआ पानी ही लाभकारी होता है। जिन लोगों को कफ की समस्या ज्यादा रहती है, उन्हें इस पानी में तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए। बहुत कम लोग जानते हैं कि तांबे के बर्तन का पानी पीने के बहुत सारे फायदे हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से होने वाले कुछ बेहतरीन फायदों के बारे में...
स्किन को बनाए स्वस्थ- अधिकतर लोग हेल्दी स्किन के लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स का उपयोग करते हैं। वो मानते हैं कि अच्छे कॉस्मेटिक्स यूज करने से त्वचा सुंदर हो जाती है, लेकिन ये सच नहीं है। स्किन पर सबसे अधिक प्रभाव आपकी दिनचर्या और खानपान का पड़ता है। इसीलिए अगर आप अपनी स्किन को हेल्दी बनाना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में रातभर पानी रखें और सुबह उस पानी को पी लें। नियमित रूप से इस नुस्खे को अपनाने से स्किन ग्लोइंग और स्वस्थ लगने लगेगी।
थायराइड को करता है नियंत्रित-
थायरेक्सीन हार्मोन के असंतुलन के कारण थायराइड की बीमारी होती है। थायराइड के प्रमुख लक्षणों में तेजी से वजन घटना या बढ़ना, अधिक थकान महसूस होना आदि हैं।
थायराइड एक्सपर्ट मानते है कि कॉपर के स्पर्श वाला पानी शरीर में थायरेक्सीन हार्मोन को बैलेंस कर देता है। यह इस ग्रंथि की कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित करता है। तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से रोग नियंत्रित हो जाता है।
गठिया में होता है फायदेमंद- आजकल कई लोगों को कम उम्र में ही गठिया और जोड़ों में दर्द की समस्या सताने लगती हैं। यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो रोज तांबे के पात्र का पानी पिएं।
गठिया की शिकायत होने पर तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पीने से लाभ मिलता है। तांबे के बर्तन में ऐसे गुण आ जाते हैं, जिनसे बॉडी में यूरिक एसिड कम हो जाता है और गठिया व जोड़ों में सूजन के कारण होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
हमेशा दिखेंगे जवान-
कहते हैं, जो पानी ज्यादा पीता है उसकी स्किन पर अधिक उम्र में भी झुर्रियां दिखाई नहीं देती हैं।
ये बात एकदम सही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप तांबे के बर्तन में जल को रखकर पिएं तो इससे त्वचा का ढीलापन आदि दूर हो जाता है। डेड स्किन भी निकल जाती है और चेहरा हमेशा चमकता हुआ दिखाई देता है।
पाचन क्रिया को ठीक करता है- एसिडिटी या गैस या पेट की कोई दूसरी समस्या होने पर तांबे के बर्तन का पानी अमृत की तरह काम करता है।
खून की कमी करता है दूर-
एनीमिया या खून की कमी एक ऐसी समस्या है जिससे 30 की उम्र से अधिक की कई भारतीय महिलाएं परेशान हैं। कॉपर के बारे में यह तथ्य सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक है कि यह शरीर की अधिकांश प्रक्रियाओं में बेहद आवश्यक होता है।
यह शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने का काम करता है। इसी कारण तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से खून की कमी या विकार दूर हो जाते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में कम से कम 8 घंटे रखा हुआ जल पिएं। इससे राहत मिलेगी और पाचन की समस्याएं भी दूर होंगी।
दिल को बनाए हेल्दी  - तनाव आजकल सभी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। इसीलिए
दिल के रोग और तनाव से ग्रसित लोगों की संख्या तेजी बढ़ती जा रही है। यदि आपके साथ भी ये परेशानी है तो तो तांबे के जग में रात को पानी रख दें।
सुबह उठकर इसे पी लें। तांबे के बर्तन में रखे हुए जल को पीने से पूरे शरीर में रक्त का संचार बेहतरीन रहता है। कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और दिल की बीमारियां दूर रहती हैं।
 कैंसर से लड़ने में सहायक-  कैंसर होने पर हमेशा तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पीना चाहिए। इससे लाभ मिलता है। तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल वात, पित्त और कफ की शिकायत को दूर करता है। इस प्रकार के जल में एंटी-ऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो इस रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, कॉपर कई तरीके से कैंसर मरीज की हेल्प करता है। यह धातु लाभकारी होती है।
सूक्ष्मजीवों को खत्म करता है- तांबे की प्रकृति में ऑलीगोडायनेमिक के रूप में ( बैक्टीरिया पर धातुओं की स्टरलाइज प्रभाव ) माना जाता है। इसीलिए इसके बर्तन में रखे पानी के सेवन से हानिकारक बैक्टीरिया को आसानी से नष्ट किया जा सकता है।
इसमें रखे पानी को पीने से डायरिया, दस्त और पीलिया जैसे रोगों के कीटाणु भी मर जाते हैं, लेकिन पानी साफ और स्वच्छ होना चाहिए।
वजन घटाने में मदद करता है- कम उम्र में वजन बढ़ना आजकल एक कॉमन प्रॉब्लम है। अगर कोई भी व्यक्ति वजन घटाना चाहता है तो एक्सरसाइज के साथ ही उसे तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना चाहिए।
इस पानी को पीने से बॉडी का एक्स्ट्रा फैट कम हो जाता है। शरीर में कोई कमी या कमजोरी भी नहीं आती है।



  












भारतीय परिवार के रसोई में किसी जमाने में तांबे, पीतल, कांसे के बर्तन ही नजर आते थे। स्टील के बर्तन
तो आधुनिक समय की देन है। दरअसल हमारी संस्कृति में तांबे, पीतल और कांसे के बर्तनों का इस्तेमाल करने के पीछे अनेक स्वास्थ्य संबंधी कारण छिपे हुए हैं।
1. भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार तो नियमित रूप से तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से हमारा शरीर चुस्त-दुरूस्त रहता है तथा कब्ज एसिडिटी, अफारा, विविध चर्म-रोग, जोड़ों का दर्द इत्यादि शिकायतों से मुक्ति मिलती है। सवेरे उठकर बिना ब्रश किए हुए एक लीटर पानी पीना स्वास्थ के लिए हितकर होता है। आयुर्वेद की मानें तो ताम्र-धातु से निर्मित ‘जल-पात्र’ सर्वश्रेष्ठ माना गया है। तांबे के अभाव में मिट्टी का ‘जल-पात्र’ भी हितकर बतलाया गया है।
2. तांबा खाद्य- पदार्थों को जहरीला बनाने वाले विषाणुओं को मारने की क्षमता तो रखता ही है, साथ ही कोशिकाओं की झिल्ली और एंजाइम में हस्तक्षेप करता है, जिससे रोगाणुओं के लिए जीवित रह पाना संभव नहीं हो पाता है. तांबे के बर्तन में ई-कोली जैसे खतरनाक जीवाणु नहीं पनप सकते। परीक्षणों से यह
भी साबित हुआ है कि सामान्य तापमान में तांबा सिर्फ चार घंटे में ई-कोली जैसे हानिकारक जीवाणुओं को मार डालता है। इसके विपरीत स्टेनलैस- स्टील के धरातल पर जीवाणु एक महीने से भी ज्यादा समय तक जिंदा रह सकते है
3. तांबे से शरीर को मिलने वाले लाभ- त्वचा में निखार आता है, कील-मुंहासों की शिकायतें भी दूर होती हैं। पेट में रहनेवाली कृमियों का विनाश होता है और भूख लगने में मदद मिलती है। बढ़ती हुई आयु की वजह से होने वाली रक्तचाप की बीमारी और रक्त के विकार नष्ट होने में सहायता मिलती है, मुंह फूलना, घमौरियां आना, आंखों की जलन जैसे उष्णता संबंधित विकार कम होते हैं। एसिडिटी से होने वाला सिरदर्द, चक्कर आना और पेट में जलन जैसी तकलीफें कम होती हैं। बवासीर तथा एनीमिया जैसी बीमारी में लाभदायक । इसके कफनाशक गुण का अनुभव बहुत से लोगों ने लिया है। पीतल के बर्तन में करीब आठ से दस घंटे पानी रखने से शरीर को तांबे और जस्ते, दोनों धातुओं के लाभ मिलेंगे। जस्ते से शरीर में प्रोटीन की वृद्घि तो होती ही है साथ ही यह बालों से संबंधित बीमारियों को दूर करने में भी लाभदायक होता है.
4. बर्मिघम में हुआ शोध शोधकर्ताओं ने अस्पताल में पारंपरिक टॉयलेट की सीट, दरवाजे के पुश प्लेट, नल के हैंडिलस को बदल कर कॉपर की ऎसेसरीज लगा दीं। जब उन्होंने दूसरे पारम्परिक टॉयलेट में उपस्थित जीवाणुओं के घनत्व की तुलना उससे की तो पाया कि कॉपर की सतह पर 90 से 100
फीयदी जीवाणु कम थे। यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल बर्मिघम में हुए इस शोध में अध्ययन दल के प्रमुख प्रोफेसर टॉम एलिएट ने बताया कि बर्मिघम एवं दक्षिण अफ्रीका में परीक्षणों से पता चला है कि तांबे के इस्तेमाल से अस्पताल के भूतल को काफी हद तक हानिकारक जीवाणुओं से मुक्त रखा जा सकता है। कॉपर बायोसाइड से जुड़े शोधों से भी पता चलता है कि तांबा संक्रमण से दूर रखता है। यही तथ्य ताम्रपात्रों पा भी लागू होते हैं
5. आयुर्वेद में रसरत्नसमुच्चय ग्रंथ के पांचवें अध्याय के श्लोक 46 में कहा गया है कि अंदर तथा बाहर से अच्छी तरह से साफ किए हुए तांबे या पीतल (यह मिश्र धातु 70 प्रतिशत तांबा और 30 प्रतिशत जस्ते का संयुग है) के बर्तनों में करीब आठ से दस घंटे तक रखे पानी में तांबे और जस्ते के गुण संक्रमित होते हैं और यह पानी (ताम्रजल) संपूर्ण शरीर के लिए लाभदायक होता है






















6. पानी की अपनी स्मरण-शक्ति होने के कारण हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि उसको कैसे बर्तन
में रखें। अगर आप पानी को रात भर या कम-से- कम चार घंटे तक तांबे के बर्तन में रखें तो यह तांबे के कुछ गुण अपने में समा लेता है। यह पानी खास तौर पर आपके लीवर के लिए और आम तौर पर आपकी सेहत और शक्ति- स्फूर्ति के लिए उत्तम होता है। अगर पानी बड़ी तेजी के साथ पंप हो कर अनगिनत
मोड़ों के चक्कर लगाकर सीसे या प्लास्टिक की पाइप के सहारे आपके घर तक पहुंचता है तो इन सब मोड़ों से रगड़ाते-टकराते गुजरने के कारण उसमें काफी नकारात्मकता समा जाती है। लेकिन पानी में याददाश्त के साथ-साथ अपने मूल रूप में वापस पहुंच पाने की शक्ति भी है। अगर आप नल के इस पानी को एक घंटे तक बिना हिलाये-डुलाये रख देते हैं तो नकारात्मकता अपने-आप खत्म हो जाती है
7. तांबे और चांदी के बैक्टीरिया-नाशक गुण और भी अधिक हो जाते हैं, जब यह धातुएं ’नैनो’ रूप में हों, क्योंकि इस रूप में धातु की सतह को लाखों गुना बढ़ाया जा सकता है। इस वजह से धातु की बहुत कम मात्रा से काम चलाया जा सकता है। ’नैनो-तांबा’ और ’नैनो-चांदी’ पर हुई शोध से यह परिणाम पिछले 10-15 सालों में ही सामने आए हैं और इन्हें वाटर-फिल्टर और एयर-फिल्टर टेक्नालजी में अपनाया जा चुका है। लेकिन विडम्बना यह है कि लोग महंगे-महंगे वाटर-फिल्टर लगवा कर उसका पानी पीना पसंद करते हैं, न कि तांबे के बरतन में रखा पानी। अपने को पढ़ा-लिखा और आधुनिक कहने वाली यह पीढ़ी पुराने तौर-तरीकों को दकियानूसी करार देने में शेखी समझती है, और जब इस पर पश्चिम की मुहर लग जाती है तो उसे सहर्ष गले लगा लेती है।
फ्रीज, प्लास्टिक बॉटल में जल रखने से या आधुनिक तकनीक वाले वॉटर प्यूरीफायर से उसकी Life Force energy शुन्य हो जाती है. प्यूरीफायर से निकला जल निःसंदेह बैक्टीरिया मुक्त होता है परंतु life force energy शुन्य हो जाती है.
मनुष्य शरीर पांच तत्वों से बना है. जल ऊन में से एक तत्व है. आजकल पुराने भारतीय तरीके का त्याग कारण है की हमारे शरीर में जल तत्व की कमी हो रही है, जिससे की किडनी और urinary tract संबंधित बीमारियां बढ़ रही है.
समाज में पानी की life force energy शुन्य होने से नपुंसकता भी बढ़ रही है.. कई बार पानी की बोतल कार में रखी रह जाती है. पानी धुप में गर्म होता है.प्लास्टिक की बोतलों में पानी बहुत देर से रखा हो और तापमान अधिक हो जाए तो गर्मी से प्लास्टिक में से डाइऑक्सिन नामक रसायन निकल कर पानी में मिल जाता है. यह कैंसर पैदा करता है.वॉटर प्यूरीफायर भी प्लास्टिक से ही बनते हैं. इसी तरह प्लास्टिक रैप में या प्लास्टिक के बर्तनों में माइक्रोवेव में खाना गर्म करने से भी यह ज़हरीला रसायन बनता है. विशेषकर तब जब खाने में घी या तेल हो. इसी तरह स्टाइरीन फोम के बने ग्लास और दोनेभी रसायन छोड़ते है ।

रोज नहाने के बाद पीना चाहिए एक गिलास पानी, ये हैं पानी की खास बातें

धर्म डेस्क | 
























रोज नहाने के बाद पीना चाहिए एक गिलास पानी, ये हैं पानी की खास बातें
उज्जैन। देशभर में इस समय सूर्य के प्रकोप से प्रचंड गर्मी बरस रही है। यदि कोई मजबूरी ना हो तो अधिकांश लोग दोपहर में बाहर निकलना नहीं चाहते। गर्मी में अधिक समय तक बाहर घूमने से कई प्रकार के रोग होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। गर्मी से रक्षा के लिए सबसे अधिक जरूरी है कि हमारे शरीर में पर्याप्त पानी हमेशा रहे। यदि शरीर में पर्याप्त रहेगा तो गर्मी से लड़ने की शक्ति मिलती रहेगी। गर्मी के कारण हमारे शरीर से पसीने के रूप में पानी बहुत तेजी से कम होता है, पानी की कमी होगी तो लू लगने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही कई अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं। इनसे बचने के लिए ध्यान रखें समय-समय पर पानी पीते रहे।
विद्वानों के अनुसार पानी पीने के संबंध में कई महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं। हमें किस समय कितना पानी पीना चाहिए, इस बात का ध्यान रखेंगे तो चमत्कारिक रूप से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।




















- यदि कोई व्यक्ति हर रोज सुबह-सुबह उठते ही एक गिलास पानी पीता है तो उसकी पाचन शक्ति हमेशा व्यवस्थित रहती है। शरीर को ऊर्जा मिलती है। यदि पाचन व्यवस्थित रहता है तो कोई भी व्यक्ति लंबी उम्र तक जीवित रह सकता है।
- हर रोज नहाने के बाद हमें एक गिलास पानी पीना चाहिए। इससे रक्त-संचार व्यवस्थित रहता है।
- हर रोज सोने से पहले कम से कम आधा गिलास पानी पीना चाहिए। ऐसा करने पर हार्ट अटैक की संभावनाओं में कमी आती है।
पानी के संबंध में चाणक्य नीति
आचार्य चाणक्य ने बताया है कि गलत समय पर पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं, जब पानी नुकसान पहुंचाता है। अत: इस संबंध यहां बताई गई नीति का ध्यान रखना चाहिए...
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।
भोजने चाऽमृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्।।
इस श्लोक आचार्य ने बताया है कि खाना खाते समय पानी पीने के संबंध में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। खाना सही ढंग से पचने के बाद ही हमारे शरीर को कार्य करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। अत: खाना खाते समय पानी के संबंध में यहां दी गई नीति का ध्यान रखना चाहिए।
खाने के एकदम बाद न पीएं पानी

























आचार्य के अनुसार भोजन के एकदम बाद पानी तक नहीं पीना चाहिए। जब तक भोजन पच ना जाए, तब तक पानी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। यदि कोई व्यक्ति भोजन के तुरंत बाद पानी पी लेता है तो उसके पाचन तंत्र को भोजन पचाने में परेशानियां होती हैं। यदि खाना ठीक से पचेगा नहीं हो तो शरीर को उचित ऊर्जा प्राप्त नहीं हो पाएगी। अपच की स्थिति में पेट संबंधी रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
भोजन के तुरंत बाद पानी पीने पर वह विष के समान कार्य करता है, भोजन पचने में रुकावट पैदा करता है। यदि हम चाहे तो भोजन के बीच-बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पी सकते हैं, लेकिन अधिक पानी पीना नुकसानदायक हो सकता है।
कब पीएं पानी
चाणक्य कहते हैं कि जब खाना पूरी तरह पच जाए तो उसके बाद पानी पीना चाहिए। खाना पचने के बाद पानी पीने पर वह अमृत के समान काम करता है। शरीर को भरपूर ऊर्जा प्रदान करता है और पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहता है। पाचन तंत्र के स्वस्थ होने पर पेट भी ठीक रहता है। पेट ठीक होने से कब्ज, गैस, अपच आदि समस्याएं नहीं होती हैं।
























ध्यान रखें, भोजन से कुछ देर पहले एक-दो गिलास पानी पी सकते हैं। खाना खाते समय बीच-बीच में एक-दो घूंट पानी पीना लाभदायक होता है। ऐसा करने पर खाना जल्दी पचता है। साथ ही, पाचन शक्ति भी बढ़ती है।
आगे जानिए पानी के संबंध में कुछ और आवश्यक नियम...
- हमें जब भी प्यास लगे, तब कम से कम एक गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए। ऐसा करने पर हमारा शरीर पानी की कमी को पूरा कर लेता है।
- परिश्रम वाले काम करने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। मेहनत वाले काम करने के बाद कम से कम आधे घंटे बाद पानी पीना चाहिए।
- अभी गर्मी के दिन है तो इस बात का ध्यान रखें कि धूप में घुमने के बाद घर लौटकर एकदम पानी नहीं पीना चाहिए। धूप में घुमने से शरीर एकदम गर्म रहता है और इस परिस्थिति में पानी पीने पर स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
- लू लग जाने पर ठंडा पानी व सर्दी लग जाने पर गर्म पानी पीना चाहिए। ऐसा करने पर शरीर को राहत मिलती है।
जल ही सभी प्राणियों के जीवन का आधार है और हमारी अच्छी सेहत के लिए भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये बात तो सभी जानते हैं कि पानी से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं, लेकिन पानी से कई प्रकार के चमत्कारी लाभ भी प्राप्त किए जा सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को किस्मत का साथ नहीं मिल पा रहा है, कार्यों में असफलता मिल रही हो, जीवन में दुख लगातार बने रहता है, घर-परिवार में परेशानियां चल रही हों तो पानी के कुछ चमत्कारी उपाय करने पर इन सभी परेशानियों से निजात मिल सकती है। शास्त्रों के अनुसार पानी से किए जाने वाले कुछ उपाय बताए गए हैं, जिनसे बुरे समय में भी शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं-
शुभ मुहुर्त में रात को सोने से पहले करें पानी का ये उपाय
रात को सोने से पहले एक तांबे के लोटे में जल भरकर अपने सिर के पास रखें। ध्यान रखें लोटा इस प्रकार रखें कि जब हम सो जाए तब नींद में वह हमसे ढुल ना जाए। सुबह उठने पर इस लोटे के जल को किसी बबूल के पेड़ की जड़ में चढ़ा दें। यह उपाय किसी भी शुभ मुहुर्त में किया जा सकता है। इस उपाय आपके आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी। यदि किसी की बुरी नजर होगी तो वह भी उतर जाएगी।
हर शनिवार पीपल को जल चढ़ाएं
यदि आप हर शनिवार पीपल में जल चढ़ाएंगे तो शनि दोष से मुक्ति मिलेगी और सभी देवी-देवताओं की कृपा मिलेगी।

10 Health Benefits of Eggs

 Health Benefits EGGS




1. Eggs are great for the eyes. According to one study, an egg a day may prevent macular degeneraton due to the carotenoid content, specifically lutein and zeaxanthin. Both nutrients are more readily available to our bodies from eggs than from other sources.

2. In another study, researchers found that people who eat eggs every day lower their risk of developing cataracts, also because of the lutein and zeaxanthin in eggs.

3. One egg contains 6 grams of high-quality protein and all 9 essential amino acids.


4. According to a study by the Harvard School of Public Health, there is no significant link between egg consumption and heart disease. In fact, according to one study, regular consumption of eggs may help prevent blood clots, stroke, and heart attacks.

5. They are a good source of choline. One egg yolk has about 300 micrograms of choline. Choline is an important nutrient that helps regulate the brain, nervous system, and cardiovascular system.

6. They contain the right kind of fat. One egg contains just 5 grams of fat and only 1.5 grams of that is saturated fat.

7. New research shows that, contrary to previous belief, moderate consumption of eggs does not have a negative impact on cholesterol. In fact, recent studies have shown that regular consumption of two eggs per day does not affect a person's lipid profile and may, in fact, improve it. Research suggests that it is saturated fat that raises cholesterol rather than dietary cholesterol.

8. Eggs are one of the only foods that contain naturally occurring vitamin D.

9. Eggs may prevent breast cancer. In one study, women who consumed at least 6 eggs per week lowered their risk of breast cancer by 44%.

10. Eggs promote healthy hair and nails because of their high sulphur content and wide array of vitamins and minerals. Many people find their hair growing faster after adding eggs to their diet, especially if they were previously deficient in foods containing sulphur or B12.

सेक्‍स और ग‍लतियां, बेड पर ये न करें


महिलायें और हरकतें
ऐसा माना जाता है कि बिस्‍तर पर पुरुष ही अपनी मनमानी करते हैं, लेकिन इसमें महिलायें भी पीछे नहीं हैं। बेड पर अक्‍सर महिलायें भी ऐसी हरकतें करती हैं जो सेक्‍स के प्रति पुरुष साथी को उदासीन बना देती है। इसके कारण आपके आपकी संबंध भी खराब हो सकते हैं। आगे के स्‍लाइडशो में जानिए उन बुरी हरकतों के बारे में जो महिलायें करती हैं बेड पर।

बात न मानना
महिलायें बेड पर अपने पुरुष साथी की बात को नजरअंदाज करती हैं। लेकिन इससे आपके पुरुष साथी का मूड खराब हो सकता है। इसलिए इस दौरान बातों की बजाय एक-दूसरे को रिझाने की कोशिश कीजिए।

लंबी बात करना
महिलायें बेड पर भी लंबी बातें करती हैं, जबकि यह समय बातों की बजाय इशारों से अठखेलियां करने का है। जबकि महिलायें इस दौरान लंबी बातें करती हैं जो आपके सेक्‍स के मजे को कम करता है।

किस से बचना
महिलायें बेड पर किस करने से बचती हैं, उनको लगता है कि किस इसमें खलल डाल सकता है। जबकि ऐसा नहीं है, इस दौरान किस करने से आपका प्‍यार गहरा होता है। महिलायें यह सोचती हैं कि किस करने से लय टूट जाती है।

डिमांडिंग होना
महिलाओं को लगता है कि इस समय यदि कोई डिमांड की जाये तो पुरुष साथी उसे पूरा कर देंगे। जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है, इस सयम अधिक डिमांड करना आपकी यौन क्रिया में बाधक बन सकता है।

मजाक उड़ाना
महिलाओं की तुलना में पुरुष जल्‍दी स्‍खलित हो जाते हैं जिसके कारण महिलाओं को पूर्ण संतुष्टि नहीं मिल पाती। महिलायें इसका मजाक उड़ाती हैं। यह आपके साथी को विचलित कर सकता है और इसके कारण वह तनाव में भी आ सकता है।

दूसरे के नाम से पुकारना
हालांकि आपके अफेयर कई लोगों से रहे हैं, या वर्तमान में भी आपके एक से अधिक पार्टनर हैं। लेकिन बेड पर आप जिसके साथ हैं उसका ही ख्‍याल रखें। जबकि अक्‍सर महिलायें बेड पर अपने वर्तमान साथी को अपने एक्‍स के नाम से बुलाती हैं, जल्‍दबाजी में या अनजाने में आप अपने पार्टनर को किसी अन्‍य नाम से न बुलायें। यदि आप अपने पार्टनर को दूसरे नाम से पुकारेंगे तो आपका साथी रूठ सकता है।

शरीर पर भार डालना
महिलायें अक्‍सर बेड पर अपने साथी के ऊपर चढ़ जाती हैं, हालांकि प्‍यार जताने का यह अच्‍छा तरीका है। लेकिन यदि आपका वजन अधिक है तो इसके कारण आपे पार्टनर को परेशानी हो सकती है। हो सकता है इससे आपका पार्टनर खीझकर आपसे रूठ सकता है।

शरीर के अन्‍य हिस्‍से
महिलायें बेड पर पुरुषों के शरीर के अन्‍य हिस्‍सों को नजरअंदाज कर देती हैं, जबकि पुरुष के शरीर में कई अन्‍य हिस्‍से हैं जिनसे उत्‍तेजना होती है। इसलिए यौन संबंध के दौरान मजे को दोगुना करने के लिए इन हिस्‍सों पर भी ध्‍यान केंद्रित कीजिए, इन अंगों को नजरअंदाज न करें। अपने साथी के घुटने, कलाई, बैक और पेट जैसे शरीर के अन्य हिस्सों पर भी उंगलियों से अठखेलियां कीजिए।

नये प्रयोग
महिलायें बेड पर हर बार नया प्रयोग करना चाहती हैं, उनको लगता है कि इस तरह से वह अपने पार्टनर को खुश कर देंगी। वह अपने पुरुष साथी से ऐसा आसन करने के लिए उकसाती हैं जिसके बारे में वे अनजान होते हैं। यह आपके मजे को बढ़ाने की बजाय कम करता है, इसलिए प्रयोग करने से बचें।

10 Things You Need To Know Before You Test Your Sperm Count






Sperm Count

Last weekend Boots the chemist began selling the SpermCheck Male Fertility Test (29.99). It's a home testing kit which allows men to test whether they have the a low or normal sperm count. The kit is as accurate as a lab test at identifying low or normal sperm count and it gives you clear results in the privacy of your own home in just 10 minutes. Before you try it, there's a few things you need to know...
1. The minimum sperm count required to get your partner pregnant is 20 million+ sperm per milliliter.
2. It takes 10 to 11 weeks for sperm to be produced, so making lifestyle changes now and testing your sperm in three months time will optimize your result.
3. Daily ejaculation encourages the production of newer healthier sperm and leads to a 12% drop in sperm DNA damage.
4. Male sperm counts decline with age. It takes a man over 45, five times longer to get his partner pregnant. Even older men who have very young wives (<25 years of age) take four times longer to impregnate their partners.
5. Research from Harvard School of Public Health confirms that eating certain vegetables and salads can improve sperm motility and sperm quality. Men who ate higher levels of beta-carotene, which is found in carrots, lettuce and spinach, and lutein, which is found in lettuce and spinach, had a 6.5% increase in sperm motility. Those who consumed higher levels of lycopene, which is found in tomatoes, had 1.7% improved sperm quality.
6. Research by Professor Jill Attaman from Harvard Medical School in Boston has linked a diet that is high in saturated fat to reduced sperm counts. In contrast, men who consumed more omega-3 fatty acids were found to have sperm with a more normal structure. Sardines, salmon, flax seeds and walnuts are excellent sources of omega-3 fatty acids and you might also want to add in an oral antioxidant such as vitamin E, L-carnitine, zinc or magnesium.
7. A meta analysis of existing research on male fertility found that couples were more likely to have a pregnancy, or live birth, if the man took certain vitamins or other antioxidants. Sperm count can be improved by a combination of zinc and folic acid. Low levels of vitamin C have been implicated in an abnormal sperm count.
8. Dehydration can also lead to reduced semen production. Semen is the watery fluid that protects and nourishes sperm cells and transports them during ejaculation. If there is not enough fluid, conception is less likely.
9. Keep cool. The testicles hang down from the body is so that they can maintain the cooler temperatures that are required for sperm production. Because it is not advisable to allow the testes to heat up by more than 1°C, long baths or Jacuzzis are not a good idea.
10. Nor is it a good idea to work with a laptop on your knee because the heat from the computer has been shown to increase scrotal temperature by 2.6°C within fifteen minutes. Rates of infertility among chefs are twice the UK average because of exposure to to intense heat and radiation from ovens.





शुक्राणुओं की संख्या

पिछले सप्ताहांत जूते रसायनज्ञ SpermCheck पुरुष प्रजनन क्षमता परीक्षा (29.99) की बिक्री शुरू की. यह पुरुषों वे एक कम या सामान्य शुक्राणुओं की संख्या है कि क्या परीक्षण करने के लिए अनुमति देता है एक घर परीक्षण किट है. किट कम या सामान्य शुक्राणुओं की संख्या की पहचान करने में एक प्रयोगशाला परीक्षण के रूप में सही है और यह सिर्फ 10 मिनट में आप अपने खुद के घर की गोपनीयता में स्पष्ट परिणाम देता है. आप इसे करने की कोशिश करने से पहले, आपको पता है की जरूरत है वहाँ कुछ चीजें है ...
1. अपने साथी के गर्भवती पाने के लिए आवश्यक न्यूनतम शुक्राणुओं की संख्या 20 लाख + मिली लीटर प्रति शुक्राणु है.
2. यह उत्पादन किया जा शुक्राणु के लिए 10 से 11 सप्ताह का समय लगता है, तो अब जीवन शैली में परिवर्तन करने और तीन महीने के समय में अपने शुक्राणु के परीक्षण के अपने परिणाम का अनुकूलन होगा.
3. रोज़ स्खलन नए स्वस्थ शुक्राणु के उत्पादन को प्रोत्साहित करती है और शुक्राणु डीएनए की क्षति में 12% की गिरावट की ओर जाता.
4. पुरुष शुक्राणु मायने रखता है उम्र के साथ गिरावट. यह अपने साथी के गर्भवती होने की पाँच बार अब, 45 से अधिक एक आदमी लेता है. बहुत युवा पत्नियों (उम्र के <25 वर्ष) है जो यहां तक ​​कि बूढ़े लोगों को अपने साथियों व्याप्त चार गुना ज्यादा समय ले.
5. सार्वजनिक स्वास्थ्य के हार्वर्ड स्कूल से रिसर्च कुछ सब्जियों और सलाद खाने शुक्राणु गतिशीलता और शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं कि पुष्टि करता है. सलाद और पालक में पाया जाता है जो गाजर, सलाद और पालक में पाया जाता है, जो बीटा कैरोटीन, और lutein, का उच्च स्तर खा लिया पुरुष, जो शुक्राणु गतिशीलता में एक 6.5% वृद्धि की गई थी. टमाटर में पाया जाता है जो लाइकोपीन का उच्च स्तर, भस्म जो लोग, 1.7% सुधार शुक्राणु की गुणवत्ता था.
6. बोस्टन में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से प्रोफेसर जिल Attaman द्वारा अनुसंधान कम शुक्राणु गिनती के लिए संतृप्त वसा में उच्च है कि एक आहार से जोड़ दिया है. इसके विपरीत, अधिक ओमेगा -3 फैटी एसिड का सेवन पुरुषों के लिए जो एक अधिक सामान्य संरचना के साथ शुक्राणु पाए गए. सार्डिन, सामन, सन बीज और अखरोट में ओमेगा -3 फैटी एसिड के बेहतरीन स्रोत हैं और आप भी इस तरह के विटामिन ई, एल carnitine, जस्ता या मैग्नीशियम के रूप में एक मौखिक एंटीऑक्सीडेंट में जोड़ने के लिए चाहते हो सकता है.
7. पुरुष प्रजनन क्षमता पर मौजूदा अनुसंधान का एक मेटा विश्लेषण आदमी कुछ विटामिन या अन्य एंटीऑक्सीडेंट लिया जोड़े, एक गर्भावस्था, या जीवित जन्म है की संभावना थे. शुक्राणुओं की संख्या जस्ता और फोलिक एसिड की एक संयोजन द्वारा सुधार किया जा सकता है. विटामिन सी के निम्न स्तर एक असामान्य शुक्राणुओं की संख्या में शामिल किया गया है.
8. निर्जलीकरण भी कम वीर्य उत्पादन बढ़ सकता है. वीर्य की रक्षा और पोषण होता शुक्राणु कोशिकाओं और स्खलन के दौरान उन्हें transports कि पानी द्रव है. पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं है, तो गर्भाधान की संभावना कम है.
9. शांत रखें. वे शुक्राणु उत्पादन के लिए आवश्यक हैं कि कूलर तापमान बनाए रखने के लिए कर सकते हैं ताकि अंडकोष शरीर से नीचे लटका है. यह वृषण अधिक से अधिक 1 डिग्री सेल्सियस, लंबे समय स्नान या Jacuzzis से गर्म होने की अनुमति देने के लिए उचित नहीं है क्योंकि एक अच्छा विचार नहीं कर रहे हैं.
कंप्यूटर से गर्मी पंद्रह मिनट के भीतर 2.6 डिग्री सेल्सियस से अंडकोषीय तापमान बढ़ाने के लिए दिखाया गया है क्योंकि 10. न ही यह अपने घुटने पर एक लैपटॉप के साथ काम करने के लिए एक अच्छा विचार है. रसोइयों के बीच बांझपन की दरों क्योंकि ओवन से तीव्र गर्मी और विकिरण के लिए जोखिम के दो बार ब्रिटेन के औसत हैं.

उच्च शुक्राणुओं की संख्या वास्तव में किसी भी पक्ष प्रभाव के कारण नहीं होना चाहिए. वृषण दर्द के साथ एक आदमी को अपने नियमित रूप से चिकित्सक या एक शल्यक्रिया विशेषज्ञ देखना चाहिए - संभावित कारणों संक्रमण, अंडकोष का घुमा, चोट, हर्निया या शायद ही कभी वृषण कैंसर शामिल हैं.