Monday, 9 June 2014

5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ?

दोस्तों  जाने  अनजाने  हम  ऐसी  कई  चीजें करते  हैं  जो  हमारे  personal development के  लिए  ठीक  नहीं  होतीं. वैसे  तो  इन  चीजों  की  list बहुत  लम्बी  हो  सकती  है  पर  मैं  आपके  साथ  सिर्फ  पांच  ऐसी  बातें  share कर  रहा  हूँ  जो  मैं  follow करता  हूँ .हो  सकता  है  कि  आप  already इनमे  से  कुछ  चीजें  practice करते  हों , पर  अगर  आप  यहाँ  से  कुछ  add-on कर  पाते  हैं  तो  definitely वो  आपके  life को  better बनाएगा . So , let’s see those 5 things:


5 चीजें  जो  आपको  नहीं  करनी  चाहिए  और  क्यों ?

 1) दूसरे  की  बुराई  को  enjoy करना 
ये  तो  हम  बचपन  से  सुनते  आ  रहे  हैं  की  दुसरे  के  सामने  तीसरे  की  बुराई  नहीं  करनी  चाहिए , पर  एक और  बात  जो  मुझे  ज़रूरी  लगती  है  वो  ये  कि  यदि  कोई  किसी  और  की  बुराई  कर  रहा  है  तो  हमें  उसमे  interest नहीं  लेना  चाहिए  और  उसे  enjoy नहीं  करना  चाहिए . अगर  आप  उसमे  interest दिखाते  हैं  तो  आप  भी  कहीं  ना  कहीं  negativity को  अपनी  ओर  attract करते  हैं . बेहतर  तो  यही  होगा  की  आप  ऐसे  लोगों  से  दूर  रहे  पर  यदि  साथ  रहना  मजबूरी  हो  तो  आप  ऐसे  topics पर  deaf and dumb हो  जाएं  , सामने  वाला  खुद  बखुद  शांत  हो  जायेगा . For example यदि  कोई  किसी  का  मज़ाक  उड़ा रहा  हो  और  आप  उस पे  हँसे  ही  नहीं  तो  शायद  वो  अगली  बार  आपके  सामने  ऐसा  ना  करे . इस  बात  को  भी  समझिये  की  generally जो  लोग  आपके  सामने  औरों  का  मज़ाक  उड़ाते  हैं  वो  औरों  के  सामने  आपका  भी  मज़ाक  उड़ाते  होंगे . इसलिए  ऐसे  लोगों  को  discourage करना  ही  ठीक  है .
2) अपने  अन्दर  को  दूसरे  के  बाहर  से  compare करना 
इसे  इंसानी  defect कह  लीजिये  या  कुछ  और  पर  सच  ये  है  की  बहुत  सारे  दुखों  का  कारण  हमारा  अपना  दुःख  ना  हो  के  दूसरे   की  ख़ुशी  होती  है . आप  इससे  ऊपर  उठने  की  कोशिश  करिए , इतना  याद  रखिये  की  किसी  व्यक्ति  की  असलियत  सिर्फ  उसे  ही  पता  होती  है , हम  लोगों  के  बाहरी यानि नकली रूप  को  देखते  हैं  और  उसे  अपने  अन्दर के यानि की असली  रूप  से  compare करते  हैं . इसलिए  हमें लगता  है  की  सामने  वाला  हमसे  ज्यादा  खुश  है , पर  हकीकत  ये  है  की  ऐसे  comparison का  कोई  मतलब  ही  नहीं  होता  है . आपको  सिर्फ  अपने  आप  को  improve करते  जाना  है और व्यर्थ की comparison नहीं करनी है.
3) किसी  काम  के  लिए  दूसरों  पर  depend करना 
मैंने  कई  बार  देखा  है  की  लोग  अपने  ज़रूरी काम  भी  बस  इसलिए  पूरा  नहीं  कर  पाते क्योंकि  वो  किसी  और  पे  depend करते  हैं . किसी  व्यक्ति  विशेष  पर  depend मत  रहिये . आपका  goal; समय  सीमा  के  अन्दर  task का  complete करना  होना चाहिए  , अब  अगर  आपका  best  friend तत्काल  आपकी  मदद  नहीं  कर  पा  रहा  है  तो  आप  किसी  और  की  मदद  ले  सकते  हैं , या  संभव  हो  तो  आप  अकेले  भी  वो  काम  कर  सकते  हैं .
ऐसा  करने  से  आपका  confidence बढेगा , ऐसे  लोग  जो  छोटे  छोटे  कामों  को  करने  में  आत्मनिर्भर  होते  हैं  वही  आगे  चल  कर  बड़े -बड़े  challenges भी  पार  कर  लेते  हैं , तो  इस  चीज  को  अपनी  habit में  लाइए  : ये  ज़रूरी  है की  काम  पूरा  हो  ये  नहीं  की  किसी  व्यक्ति  विशेष  की  मदद  से  ही  पूरा  हो .
4) जो बीत गया  उस  पर  बार  बार  अफ़सोस  करना
अगर  आपके  साथ  past में  कुछ  ऐसा  हुआ  है  जो  आपको  दुखी  करता  है  तो  उसके  बारे  में  एक  बार  अफ़सोस  करिए…दो  बार  करिए….पर  तीसरी  बार  मत  करिए . उस  incident से जो सीख  ले  सकते  हैं  वो  लीजिये  और  आगे  का  देखिये . जो  लोग  अपना  रोना  दूसरों  के  सामने  बार-बार  रोते  हैं  उसके  साथ  लोग  sympathy दिखाने  की  बजाये उससे कटने  लगते  हैं . हर  किसी  की  अपनी  समस्याएं  हैं  और  कोई  भी  ऐसे  लोगों  को  नहीं  पसंद  करता  जो  life को  happy बनाने  की  जगह  sad बनाए . और  अगर  आप  ऐसा  करते  हैं  तो  किसी  और  से  ज्यादा  आप ही  का  नुकसान  होता  है . आप  past में  ही  फंसे  रह  जाते  हैं , और  ना  इस  पल  को  जी  पाते  हैं  और  ना  future के  लिए  खुद  को prepare कर  पाते  हैं .
5) जो  नहीं  चाहते  हैं  उसपर  focus करना 
सम्पूर्ण ब्रह्मांड में हम जिस चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं उस चीज में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है.  इसलिए   आप  जो  होते  देखना  चाहते  हैं  उस  पर  focus करिए , उस  बारे  में  बात  करिए  ना  की  ऐसी  चीजें  जो  आप  नहीं  चाहते  हैं . For example: यदि  आप अपनी  income बढ़ाना  चाहते  हैं  तो  बढती  महंगाई  और  खर्चों  पर  हर  वक़्त  मत  बात  कीजिये  बल्कि  नयी  opportunities और  income generating ideas पर  बात  कीजिये .
इन  बातों पर  ध्यान  देने  से  आप  Self Improvement के  रास्ते  पर  और  भी  तेजी  से  बढ़ पायेंगे  और  अपनी  life को  खुशहाल  बना  पायेंगे . All the best. :)

Learn Spoken English कैसे सीखें अंग्रेजी बोलना ? 12 Ideas

Learn Spoken English Through Hindi

कैसे  सीखें  अंग्रेजी  बोलना ? 

इस  article में  मैं  Spoken English सीखने  से  सम्बंधित  अपनी  thoughts share कर  रहा  हूँ , यह  मेरा  व्यक्तिगत  दृष्टिकोण   है  और  आप  इससे  पूरी  तरह   असहमत  भी  हो  सकते  हैं , पर  यदि  इससे  कुछ  लोगों  को  फायदा  पहुँचता  है  तो  मुझे  ख़ुशी  होगी.  :)
दोस्तों  हमारे  देश  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखना एक  बहुत  बड़ा  business है . ख़ास  तौर पे  छोटे  शहरों   में  इसका  कुछ  ज्यादा  ही  craze है . आपको  जगह -जगह  English Speaking से  related ads दिख  जायेंगे , “ 90 घंटे  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखें ,”, ”फर्राटेदार  अंग्रेजी  के  लिए  join  करें   XYZ School of Language” etc.
पर  क्या  यह school सचमुच  इतने  effective हैं ? शायद  नहीं ! क्योंकि  वो  पहले  ही  गलत  expectation set कर  देते  हैं ! मात्र  90 घंटे   सीखकर   किसी  भाषा  को आसानी  के  साथ  बोलना  बहुत मुश्किल है . हाँ , ये   हो  सकता  है  कि  कुछ  दिन  वहां  जाकर  आप  पहले  की  अपेक्षा  थोडा  और  fluent हो  जाएं  , पर  ऐसे कम  ही  लोग  होते हैं जो सचमुच अपनी इंग्लिश बोलने की काबीलियत का  श्रेय  ऐसे school को दे सकें.अगर आप  पहले  से  ठीक-ठाक अंग्रेजी बोल लेते हैं और  तब  ऐसी  जगह  जाते  हैं  तो  यह  आपके  लिए  फायदेमंद  हो  सकता  है , नहीं  तो  आपके  लिए  अच्छा  होगा  कि   आप  इस  mindset के  साथ  जाइये  कि  ऐसे  school में  जाकर  आप  एक  start कर  सकते  हैं  पर  यहाँ  से  निकलने  के  बाद  भी आपको  काफी  दिनों  तक  पूरी  dedication के  साथ  लगे  रहना  होगा .
तो  आइये  सबसे  पहले  मैं  आपके  साथ  अंग्रेजी  बोलने  से  सम्बंधित  कुछ  myths share करता  हूँ :
English बोलने  के  लिए  grammar अच्छे  से  आना  चाहिए : यह  एक  बहुत  बड़ा  myth है , आप  ही  सोचिये  कि  जब  आपने  हिंदी  बोलना  सीखा  तो  क्या  आपको  संज्ञा , सर्वनाम , इत्यादि  के  बारे  में  पता  था ?  नहीं  पता  था , क्योंकि  उसकी  जरूरत  ही  नहीं  पड़ी  वो  तो  बस  आपने  दूसरों  को  देखकर -सुनकर  सीख  लिया . उसी  तरह  अंग्रेजी  बोलने  के  लिए  भी  Grammar की  knowledge जरूरी  नहीं  है . English Medium school से अच्छी  शिक्षा मिलने  के  कारण  मैं  अच्छी  English बोल  लेता  हूँ , पर  यदि  आप  मेरा  Tenses का  test लें  तो  मेरा  पास  होना  भी  मुश्किल  होगा .:)
कुछ  ही  दिनों  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखा  जा  सकता  है : गलत ! अपनी  मात्र  भाषा  से  अलग  कोई  भी  भाषा  सीखने  में  समय  लगता  है . कितना  समय  लगेगा  यह person to person differ करेगा . पर  मेरा  मानना  है  कि  यदि  कोई  पहले  से  थोड़ी  बहुत  अंग्रेजी  जानता  है और  वो  dedicated होकर  effort करे  तो  6 महीने  में  अच्छी  अंग्रेजी  बोलना  सीख  सकता  है .और  यदि  आप  सीख  ही  रहे  हैं  तो  कामचलाऊ  मत  सीखिए , अच्छी  English सीखिए .
English Medium से पढने वाले ही अच्छी अंग्रेजी बोल पाते हैं: यह  भी  गलत  है . अपने  घर  की  ही  बात  करूँ  तो  मेरे  बड़े  भैया  ने  Hindi Medium से  पढाई  की  है , पर  आज   वो  बतौर  Senior Consultant काम  करते  हैं  और  बहुत  अच्छी  English लिखते – बोलते  हैं . यदि  आपको  ऐसी  schooling नहीं  मिली  जहाँ  आप  अंग्रेजी बोलना  सीख  पाए  तो  उसपर  अफ़सोस  मत  कीजिये , जो  पहले  हुआ  वो  past है , present तो  आपके  हाथ  में  है  जो  चीज  आप  पहले  नहीं  सीख  पाए  वो  अब  सीख  सकते  हैं , in fact as an adult आप  अपनी  हर  उपलब्धि  या  नाकामयाबी  के  लिए  खुद   जिम्मेदार  हैं.
अंग्रेजी  बोलने  के  लिए  अच्छी   vocabulary होना  जरूरी  है : नहीं , vocabulary जितनी  अच्छी  है  उतना  अच्छा   है , पर   generally आम -बोल  चाल  में  जितने  words बोले  जाते  हैं , वो  आपको  पहले   से  ही  पता  होंगे या थोड़ी सी मेहनत से आप इन्हें जान जायेंगे.  दरअसल  हम  जो  words जानते  हैं  बस  उन्ही  को  सही  जगह  place करने  की  बात  होती  है . मैंने कई बार लोगों को एक से एक कठिन words की meaning रटते देखा है, पर ऐसा करना आपकी energy  ऐसी जगह लगाता है जहाँ लगाने की फिलहाल ज़रुरत नहीं है.
अगर आप ऊपर दिए गए किसी मिथक को मानते हों तो अब उनसे छुटकारा पा लीजिये , और स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए नीचे दिए गये सुझावों को  अपनाइए .
12 Ideas to Learn Spoken English
स्पोकेन इंग्लिश सीखने के 12 सुझाव   
1. अपना महौल English बनाएं  : किसी  भी  भाषा  को  सीखने  में  जो  एक  चीज  सबसे  महत्त्वपूर्ण  होती  है  वो  है  हमारा  environment, हमारा  माहौल .  आखिर  हम  अपनी  मात्र -भाषा  छोटी  सी  ही  उम्र   में  कैसे  बोलने  लगते  हैं :- क्योंकि   24X7 हम  ऐसे  माहौल  में  रहते  हैं  जहाँ  वही  भाषा  बोली  , पढ़ी, और  सुनी  जाती  है .  इसीलिए  अंग्रेजी  बोलना  सीखना  है  तो  हमें  यथा  संभव  अपने  माहौल  को  English बना  देना  चाहिए .  इसके  लिए  आप  ऐसा  कुछ  कर  सकते  हैं:
•         हिंदी  अखबार  की  जगह  English Newspaper पढना  शुरू  कीजिये .
•         हिंदी  गानों  की  जगह  अंग्रेजी  गाने  सुनिए .
•         अपने interest के English program / movies देखिये .
•         अपने  room को  जितना  English बना  सकते  हैं  बनाइये ….English posters, Hollywood actors,English  books,Cds ..जैसे  भी   हो  जितना  भी  हो  make it English.
2. ऐसे लोगों के साथ group बनाएं जो आप ही की तरह स्पोकेन इंग्लिश सीखना चाहते हों : कुछ ऐसे  दोस्त   खोजिये  जो  आप   ही  की  तरह  अंग्रेजी  बोलना सीखना  चाहते  हैं .  अगर  आपके  घर  में  ही  कोई  ऐसा  है  तो  फिर  तो  और  भी  अच्छा  है . लेकिन  अगर  ना  हो  तो  ऐसे  लोगों  को  खोजिये , और  वो  जितना  आपके  घर  के  करीब  हों  उतना अच्छा  है . ऐसे दोस्तों  से  अधिक  से  अधिक  बात  करें  और  सिर्फ  English में . हाँ  ,चाहें  तो  आप  mobile पर  भी  यही  काम  कर  सकते  हैं .
 3. कोई mentor बना लें: किसी ऐसे व्यक्ति को अपना mentor बना लें जो अच्छी English जानता हो, आपका कोई मित्र, आपका कोई रिश्तेदार, कोई पडोसी, कोई अंग्रेजी सीखाने वाला institute ….कोई भी जो आपकी मदद के लिए तैयार हो. आपको अपने मेंटर से जितनी मदद मिल सके लेनी होगी. अगर आप को मेंटर ना मिले तो भी मायूस होने की ज़रुरत नहीं है आप अपने efforts में लगे रहे , मेंटर मिलने सी आपका काम आसानी से होता लेकिन ना मिलने पर भी आप अपने प्रयास से यह भाषा सीख सकते हैं.
 4. पहले  दिन  से  ही correct English बोलने  का  प्रयास  मत  करें : अगर  आप  ऐसा  करेंगे  तो   आप   इसी  बात  में  उलझे  रह  जायेंगे  की  आप  सही  बोल  रहे  हैं  या  गलत . पहला  एक -दो  महिना  बिना  किसी  tension के   जो  मुंह  में  आये  बोले , ये  ना  सोचें  कि  आप  grammatically correct हैं  या  नहीं .  जरूरी  है  कि  आप  धीरे -धीरे  अपनी  झिझक  को  मिटाएं  .
 5. English सीखने के लिए  Alert रहे : वैसे  तो  मैं  अपनी  spoken English का  श्रेय   अपने  school St.Paul’s को  देता हूँ  पर  अंग्रेजी  के लिए  अपनी  alertness की  वजह  से  भी  मैंने  बहुत  कुछ   सीखा  है . मैं  जब  TV पर  कोई  English program देखता  था  तो  ध्यान  देता  था  की  words को  कैसे  pronounce किया  जा रहा  है , और  किसी  word को  sentence में  कैसे  use  किया  जा रहा  है . इसके  आलावा  मैंने  नए  words सीखने  के  लिए  एक  diary भी  बनायीं  थी  जिसमे  मैं  newspaper पढ़ते  वक़्त जो  words नहीं  समझ  आते  थे  वो  लिखता  था , और  उसका use  कर  के एक  sentence भी  बनता  था , इससे  word की  meaning याद  रखने  में  आसानी  होती  थी .
6. बोल  कर  पढ़ें : हर  रोज  आप  अकेले  या  अपने  group में  तेज  आवाज़  में  English का  कोई  article या  story पढ़ें . बोल -बोल  कर   पढने  से  आपका  pronunciation सही  होगा , और  बोलने  में  आत्मविश्वास  भी  बढेगा .
 7. Mirror का use करें  : मैं  English बोलना  तो  जानता  था  पर  मेरे  अन्दर  भी  fluency की  कमी  थी , इसे ठीक  करने  के  लिए  मैं  अक्सर  अकेले  शीशे  के  सामने  खड़े  होकर   English में  बोला  करता  था . और  अभी  भी  अगर  मुझे  कोई  presentation या  interview देना  होता  है  तो  मैं  शीशे   के  सामने  एक -दो  बार  practice  करके  खुद  को  तैयार  करता  हूँ .  आप  भी  अपने  घर  में  मौजूद  mirror का  इस्तेमाल  अपनी  spoken English improve करने  के  लिए  कीजिये .  शीशे  के  सामने  बोलने  का  सबसे  बड़ा  फायदा  है  कि  आप  को  कोई  झिझक  नहीं  होगी  और  आप  खुद  को  improve कर  पाएंगे .
8. Enjoy the process: English बोलना  सीखेने  को  एक  enjoyment की  तरह  देखें  इसे अपने  लिए  बोझ  ना  बनाएं .  आराम  से  आपके  लिए  जो  speed comfortable हो  उस  speed से  आगे  बढें  . पर  इसका  ये  मतलब  नहीं  है  कि  आप  अपने  प्रयत्न  एकदम  से  कम   कर  दें , बल्कि  जब  आप  इसे  enjoy करेंगे  तो  खुद -बखुद  इस  दिशा  में  आपके  efforts और  भी  बढ़  जायेंगे .  आप  ये  भी  सोचें  कि  जब  आप  fluently बोलने  लगेंगे  तब  कितना  अच्छा लगेगा  , आप  का  confidence भी  बढ़  जायेगा  और  आप  सफलता  की  तरफ  बढ़ने  लगेंगे .
 9. English में सोचना शुरू करें : जब  इंसान  मन  में  कुछ  सोचता  है  तो  naturally वो  अपनी  मात्र  भाषा  में  ही  सोचता  है . लेकिन  चूँकि  आप  English सीखने  के  लिए  committed हैं  तो  आप  जो  मन  में  सोचते  हैं  उसे  भी  English में  सोचें . यकीन  जानिये  आपके  ये  छोटे -छोटे  efforts आपको  तेजी  से  आपकी  मंजिल  तक  पंहुचा  देंगे .
10. ऐसी  चीजें   पढ़ें जो समझने में बिलकुल आसान हों: बच्चों की English comics आपकी हेल्प कर सकती है, उसमे दिए गए pictures आपको story समझने  में हेल्प करेंगे और simple sentence formation भी आम बोल चाल में बोले जाने वाले सेंटेंसेस पर आपकी पकड़  बना देंगे.
11. Internet का use करें : आप स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए इन्टरनेट का भरपूर प्रयोग करें. You Tube पर available  videos आपकी काफी हेल्प कर सकते हैं.  सही pronunciation और meaning के लिए आप TheFreeDictionary.Com का use कर सकते हैं.  AchhiKhabar.Com पर दिए गएQuotes भी आपकी मदद कर सकते हैं, चूँकि मैंने जो quotes collect किये हैं वो English और Hindi दोनों में हैं तो आप वहां से भी कुछ सीख  सकते हैं और साथ ही महापुरुषों के अनमोल विचार भी जान सकते हैं.
12. Interest मत  loose कीजिये : अधिकतर  ऐसा  होता  है  कि  लोग  बड़े  जोशो -जूनून  के  साथ  English सीखना  शुरू  करते  हैं . वो  ज्यादातर  चीजें  करते  हैं  जो  मैंने  ऊपर  बतायीं , पर  दिक्कत  ये  आती  है  कि  हर  कोई  अपनी  comfort zone में  जाना  चाहता  है . आपकी  comfort zone Hindi है  इसलिए  आपको  कुछ  दिनों  बाद  दुबारा  वो  अपनी  तरफ  खींचेगी  और  ऊपर  से  आपका  माहौल  भी  उसी  को  support करेगा . इसलिए  आपको  यहाँ  पर  थोड़ी  हिम्मत  दिखानी  होगी , अपना  interest अपना  enthusiasm बनाये  रखना  होगा .  इसके  लिए  आप  English से  related अपनी  activities में  थोडा  innovation डालिए . For example : यदि  आप  रोज़ -रोज़  serious topics पर  conversation करने से  ऊब  गए  हों  तो  कोई  abstract topic, या  फ़िल्मी   मसाले  पर  बात  करें ,  कोई इंग्लिश मूवी देखने चले जाएँ, या फिर कुछ और करें जो आपके दिमाग में आये.आप  एक -दो  दिन  का  break भी  ले  सकते  हैं , और  नए  जोश  के  साथ  फिर  से  अपने  mission पर  लग  सकते  हैं . पर  कुछ  ना  कुछ  कर  के  अपना  interest बनाये  रखें . वरना  आपका  सारा  effort waste चला  जायेगा .

अभी कुछ दिन पहले मैं फरीदाबाद अपने भैया के यहाँ गया था , वहां मेरा 3 साल का भतीजा बड़े मजे से छोटा भीम कार्टून देख रहा था, मैंने notice किया कि चैनल की language English पे सेट है. I think ये एक अच्छा तरीका है इंग्लिश सीखने का, बच्चों के लिए बनाये गए कार्टून्स की भाषा सरल होती है और साथ में चल रहे एनीमेशन से बात को समझना आसान हो जाता है. आप भी इस तरीके का use कर सकते हैं.इसके आलावा आप ऐसे channels भी देख सकते हैं जिसमे subtitles आते हैं. इससे भी आपको भाषा सीखने में मदद मिलेगी.
Friends, English एक universal language है, इसे दुनिया भर में अरबों लोग बोलते हैं, तो आप ही सोचिये जो काम अरबों लोग कर सकते हैं भला आप क्यों नहीं!!! बस इतना याद रखिये कि अंग्रेजी  बोलना सीखने का सबसे सरल तरीका है “अंग्रेजी बोलना”  और इस लिए आपको ऐसे लोगों के साथ अधिक से अधिक  रहना चाहिए जिनसे आप इंग्लिश में बात कर सकते हैं. अपनी झिझक मिटाइए और ऐसे हर एक मौके का फायदा उठाइए जहाँ आपको English बोलने का मौका मिल रहा हो.
तो फिर देर किस बात की है बस लग जाइये अपने efforts में और अपने भाषा ज्ञान में अंग्रेजी भी जोड़ लीजिये.All the best! :)

DARK CHOCHOLATE दिल के लिए फायदेमंद होती है डार्क चॉकलेट





हाल के कुछ बरसों में चॉकलेट को काफी मीडिया कवरेज मिला है। कई शोध यह बताते हैं कि आपके दिल की सेहत को सही रखने में चॉकलेट की भूमिका काफी अहम होती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि कोकोआ फ्लेवोनॉयड से भरपूर होता है। यह तत्‍व दिल की अच्‍छी सेहत के लिए काफी महत्‍वपूर्ण होता है।

फ्लेवोनॉयड पौधों को पर्यावरण में मौजूद विषैले पदार्थों से बचाता है। इसके साथ ही यह उन्‍हें हुए नुकसान की भी भरपाई करता है। यह तत्‍व कई खाद्य पदार्थों, जैसे फलों और सब्जियों में पाया जाता है। फ्लेवोनॉयड एंटी ऑक्‍सीडेंट होते हैं और इन खाद्य पदार्थों का सेवन हमें काफी लाभ पहुंचाता है।



एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स शरीर की कोशिकाओं और उत्‍तकों को फ्री-रेडिकल्‍स से होने वाले नुकसान से बचाने का काम करते हैं। हमारी नियमित शारीरिक प्रक्रिया के दौरान ही फ्री-रेडिकल्‍स का निर्माण होता है। सांस लेने की प्रक्रिया के दौरान कई प्रदूषक तत्‍व हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, यही फ्री-रेडिकल्‍स हमारी शारीरिक संरचना को अंदर से नुकसान पहुंचाते हैं। इसके साथ ही धूम्रपान से भी फ्री-रेडिकल्‍स बनते हैं। यदि आपके शरीर में पर्याप्‍त मात्रा में एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स न हों, तो ये फ्री-रेडिकल्‍स हमें काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स की कमी से शरीर में बैड कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। यह बैड कोलेस्‍ट्रॉल रक्‍तवाहिनियों की दीवारों के साथ चिपक जाता है, जो आगे चलकर दिल की गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है।

फ्लेवानोल्‍स फ्लेवोनॉयड का ही एक प्रकार है जो कोकोआ और चॉकलेट में मिलता है। इसमें एंटी-ऑक्‍सीडेंट खूबियां होती हैं। और साथ ही शोध यह भी प्रमाणित करते हैं कि फ्लेवोनॉयड दिल की सेहत पर कई प्रकार से सकारात्‍मक प्रभाव डालता है। यह रक्‍तचाप को कम करता है, दिल और दिमाग में रक्‍त-प्रवाह को सुधारता है। और साथ ही रक्‍त प्‍लेट्लेट्स की चिकनाई कम करता है। इससे खून का थक्‍का जमने की आशंका कम हो जाती है।

ये प्‍लांट कैमिकल्‍स सिर्फ चॉकलेट में ही नहीं पाए जाते। चॉकलेट के अलावा सेब, क्रेनबैरी, मूंगफली, प्‍याज, चाय और रेड वाइन में भी यह तत्‍व भरपूर मात्रा में होते हैं। 

क्‍या सभी चॉकलेट सेहतमंद होते हैं ?

इससे पहले कि आप चॉकलेट खाने के लिए लपकें, हम आपको एक जरूरी बात बताते हैं। आपके लिए यह जानना महत्‍वपूर्ण है कि सभी प्रकार के चॉकलेट फायदेमंद नहीं होते। और न ही सभी प्रकार के चॉकलेट में फ्लेवानोल्‍स होते हैं। फ्लेवानोल्‍स के कारण कोकोआ का स्‍वाद बहुत कड़ा हो जाता है। चॉकलेट बनाते समय इस स्‍वाद को कम करने के लिए चॉकलेट को कई स्‍तर से गुजारा जाता है। चॉकलेट को जितनी अधिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, फ्लावेनोल्‍स की मौजूदगी उतनी ही कम होती जाती है।



बाजार में मिलने वाली अधिकतर चॉकलेट ऐसे कई चरणों से गुजरती हैं। पहले ऐसा माना जाता था कि डॉर्क चॉकलेट में सबसे अधिक फ्लेवानोल्‍स होते हैं, लेकिन डॉर्क चॉकलेट बनाने की प्रक्रिया जानने के बाद इसकी वा‍स्‍तविकता का ज्ञान हुआ। अच्‍छी बात यह है कि अधिकतर चॉकलेट निर्माता कंपनियां चॉकेलट में फ्लेवानोल्‍स को बनाये रखने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। लेकिन, तब तक आपको डॉर्क चॉकलेट का ही सेवन करना चाहिए। 

क्‍या चॉकलेट से बढ़ता है मोटापा?

चॉकलेट को हमेशा वजन बढ़ाने वाला माना जाता है। लेकिन, चॉकलेट के दीवानों को यह जानकर हैरानी होगी कि दरअसल, ऐसा नहीं है।
चॉकलेट में मौजूद वसा का मुख्‍य कारण कोकोआ बटर होता है, लेकिन यह वास्‍तव में ऑलिव ऑयल जितना सेहतमंद होता है। इसमें ऑलिक एसिड के साथ-साथ स्‍ट्रेरिक एसिड और पालमिटिक एसिड होता है। ऐसा माना जाता है कि स्‍ट्रेरिक एसिड और पालमिटिक एसिड सेचुरेटेटेड फैट के प्रकार होते हैं। यह तो आपको पता ही है सेचुरेटेड फैट बैड कोलेस्‍ट्रॉल और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है।

लेकिन हालिया शोध इस बात के विपरीत तथ्‍य पेश करते हैं। शोध बताते हैं कि स्‍ट्रेरिक एसिड कोलेस्‍ट्रॉल पर तटस्‍थ प्रभाव डालता है। यानी यह न तो कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर में इजाफा करता है और न ही उसे कम करता है। हालांकि पा‍लमिटिक एसिड जरूर कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर पर हल्‍का प्रभाव डालता है।

डॉर्क चॉकलेट चुनते समय बरतें सावधानी

सबसे पहले डॉर्क चॉकलेट चुनते समय खास सावधानी बरतें। भूनी हुई चीनी और नट्स से भरी हुई डॉर्क चॉकलेट आपके दिल को कोई फायदा नहीं पहुंचाती। इन तत्‍वों के बारे में खास खयाल रखें क्‍योंकि ये आपको अतिरिक्‍त फैट और कैलोरी देती हैं। दूसरी बात यह है कि अभी तक यह बात प्रमाणित नहीं हुई है कि दिल की अच्‍छी सेहत के लिए कितनी मात्रा में चॉकलेट का सेवन फायदेमंद होता है। तो, बेहतर है कि इसका सेवन संतुलित मात्रा में ही किया जाए।

तो दिल की अच्‍छी सेहत के लिए 1 औंस यानी करीब 30 ग्राम डॉर्क चॉकलेट सप्‍ताह में कई बार किया जा सकता है। और इसके साथ ही आपको सेब, रेड वाइन, चाय और प्‍याज जैसे एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स का सेवन भी करना चाहिए।

EGG अण्डे की सफेदी या पीला हिस्सा, क्या होता है ज्यादा फायदेमंद

सेहत और खानपान से जुड़े कुछ सवालों के जवाब मिलना आसान नहीं होता। और अलग-अलग लोगों की अलहदा राय इन जवाबों को और मुश्किल बना देती है। किसी की नजर में कोई चीज सही है, तो दूसरा जानकार उसके ठीक उलट बात करता है। अब कई लोगों की नजर में कार्बोहाइड्रेट आपको मोटा बना सकता है, तो कुछ की नजर में यह बहुत जरूरी है। कोई किसी व्यायाम को वजन कम करने के लिए सही मानता है, तो किसी दूसरे व्यक्ति की राय इससे जुदा हो सकती है। कोई किसी को फैट बर्न का नायाब नुस्खा मानता है, तो किसी की नजर में उसके तरीके से अच्छा कुछ है ही नहीं। और ऐसा ही एक सवाल है कि क्या अण्डे की सफेदी ज्यादा अच्छी होती है या फिर पूरा अण्डा खाया जा सकता है।
पौ‍ष्टि‍क नाश्ते की सूची में सबसे ऊपर की पंक्ति में आता है अण्डा। लेकिन, इसका कौन सा हिस्सा खाया जाए और कौन सा नहीं, इस पर एक राय नहीं है। अण्डे के पीले हिस्से को कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा मात्रा के कारण सेहत के लिए नुकसानदेह बताया जाता है। और तो और इसमें वसा की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है।
तो चलिये, सफेद और पीले के बीच बंटे अण्डे के पोषक तत्वों पर एक नजर डालते हैं। हो सकता है कि इस लेख को पढ़ने के बाद अण्डे के योक के बारे में आपकी सोच में कुछ बदलाव आये। और आप मान जाएं कि यह योक उतना भी बुरा नहीं होता, जितना कि आप समझते आए हैं।



सिर्फ कोलेस्ट्रॉल ही नहीं, पोषण भी है

आपकी बात मान लेते हैं। अण्डे के योक में कोलेस्ट्रॉल और वसा होती है। लेकिन, इसके साथ ही इसमें सभी जरूरी पोषक तत्त्व भी मौजूद होते हैं। हालांकि, कुछ लोग अण्डे के पीले हिस्से से दूर रहते हैं। उन्हें लगता है कि वसा और कोलेस्ट्रॉल से भरा यह हिस्सा उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन, वह यह भूल जाते हैं कि वास्तव में यह हिस्सा आपकी सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है। और तो और अण्डों के सेवन और दिल की बीमारी के बीच कहीं कोई संबंध नहीं है और न ही था।


कोलेस्ट्रॉल के बावजूद फायदेमंद

अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट के शोधकर्ता भी इस बात का समर्थन करते हैं कि आपकी सेहत के लिए अण्डा शानदार होता है। उनका कहना है कि कोलेस्ट्रॉल की अध‍िक मात्रा के बावजूद अण्डे में शरीर के लिए फायदेमंद तमाम पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में होते हैं।


शोध में हुआ साबित

अपनी बात को साबित करने के लिए शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया। उन्होंने एक समूह को अण्डों के जरिये अतिरिक्त 640 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल दिया गया। यह बात ध्यान रखने वाली है कि हर योक में करीब 200 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। शोध के परिणाम उन पुरानी मान्यताओं के बिलकुल उलट थे, जो अण्डे के पीले हिस्से को स्वास्थ्य के लिए अहितकर बताते थे। शोध में यह बात सामने आयी कि जिन लोगों ने योक वाले अण्डे का सेवन किया था, उनके शरीर में गुड कोलस्ट्रॉल यानी एचडीएल का स्तर उन लोगों की अपेक्षा काफी अध‍िक था, जिन लोगों ने अण्डे के योक से कोलेस्ट्रॉल का उपभोग नहीं किया था।


कोलेस्ट्रॉल इतना बड़ा विलेन नहीं

आपने देखा कि आहार के जरिये लिया जाने वाला कोलेस्ट्रॉल सीधा आपकी धमनियों में गया। लेकिन, उसके बावजूद गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर में बढ़ोत्तरी हुई। यानी यह बात साफ हो गई कि आहार के जरिये लिया जाने वाला कोलेस्ट्रॉल, रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने या दूसरे शब्दों में कहें तो दिल की बीमारियों  के लिए बहुत ज्यादा उत्तरदायी नहीं होता। 2007 में प्रकाश‍ित एक अन्य शोध में भी यह कहा गया था कि अण्डा दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे में इजाफा नहीं करता। इसमें कहा गया कि सप्ताह में छह या उससे ज्यादा अण्डे यानी रोजाना एक अण्डा खाने से दिल पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।


कोलेस्ट्रॉल का दिल पर असर

अभी तक दिल की बीमारियों के लिए कोलेस्ट्रॉल का कुल स्तर उतना भी अध‍िक मायने नहीं रखता, जितना कि माना जाता है। इसमें यह बात ध्यान रखने की है कि दिल की बीमारियों से ग्रस्त होने वाले करीब 35 फीसदी मरीजों का कोलेस्ट्रॉल स्तर खतरे के निशान से नीचे होता है।  तो कोलेस्ट्रॉल के सेवन में जरा सी बढ़ोत्तरी इतनी खतरनाक नहीं।


शरीर खुद बनाता है कोलेस्ट्रॉल

जब आप आहार के जरिये कोलेस्ट्रॉल लेते हैं, तो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। और इसी तस्वीर को अगर उलटकर देखा जाए, तो यदि आप कोलेस्ट्रॉल का सेवन नहीं करते हैं, तो शरीर इसका जरूरत से ज्यादा निर्माण करने लगता है। ऐसा वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए करता है।








पोषक तत्त्वों का खजाना

कोलेस्ट्रॉल की चिंता को एक ओर रख कर देखें तो अण्डे में कई पोषक तत्त्व होते हैं। इनमें से कई पोषक तत्त्व ऐसे होते हैं, जो आपको अन्य खाद्य पदार्थों से नहीं मिलते। कोलाइन (choline) ऐसा ही जरूरी पोषक तत्व है, जो दिमाग की सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। कारोटेंऑयड्स (carotenoids), आंखों के लिए और जिक्सनथ‍िन (zeaxanthin), जो एक एंटी ऑक्सीडेंट है, जैसे गुणकारी तत्व भी होते हैं। ये तो केवल बानगी है, जरा से अण्डे में मौजूद पोषक तत्वों की सूची तो बहुत लंबी है।

वजन घटाये अण्डा

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओबेसिटी ने अपने एक शोध में कहा है कि नाश्ते में रोजाना दो अण्डे खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है। यह बात तो सब जानते हैं और इस शोध ने भी इस पर अपनी मुहर लगाई है। शोध में यह बात सामने आई कि नाश्ते में अण्डे खाने वालों का वजन 65 फीसदी अधिक कम हुआ वहीं उनकी कमर के आकार में भी 34 फीसदी अध‍िक की कमी आई।


अब भी दुविधा में हैं?

अगर आप अब भी इस दुविधा में कि अण्डे का पीलापन खाया जाए या नहीं, तो फिर इन बातों को ध्यान रखें-
1. अण्डे के पीले हिस्से में 13 जरूरी पोषक तत्व होते हैं, वहीं सफेद हिस्से में प्रोटीन के सिवाय और कुछ नहीं होता।
2. आहार के जरिये लिया जाने वाला कोलेस्ट्रॉल उतना बुरा नहीं, जितना कि आप सोचते चले आए हैं।
3. अण्डा वजन कम करने में समान कैलोरी युक्त कार्बोहाइड्रेट वाला नाश्ते से अध‍िक कारगर होता है।


तो, अब आप समझ गए होंगे कि अण्डे का पीला हिस्सा वास्तव में सफेद से ज्यादा फायदेमंद होता है। लेकिन, इस बात का भी ध्यान रखें कि हर चीज का सेवन सीमा में ही अच्छा होता है और अण्डा अपवाद नहीं। खानपान की आपकी अन्य आदतों, जीवनशैली और अन्य कई कारण आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। तो आपको कितना और कैसे अण्डे का सेवन करना चाहिए इसके लिए अपने आहार विशेषज्ञ अथवा डॉक्टर से बात जरूर करें।

what is the love प्रेम

कबीर दास जी कहते हैं...

प्रेम न बारी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय। 
राजा परजा जेहि रूचै, सीस देइ लै जाय॥ 



प्रेम न तो खेत या बाड़े में उगता है और न ही हाट में बिकता है। चाहे राजा हो या प्रजा, जिसको सच्चा प्रेम चाहिए उसे अपना शीश तक देना पड़ता है क्योंकि किंचितमात्र अभिमान रखकर प्रेम नहीं किया जा सकता। 

प्रेम पियाला जो पिए, सीस दक्षिना देय। 
लोभी सीस न दे सके, नाम प्रेम का लेय॥

जिसको सच्चे प्रेम का रस चखना है, उसको अपने शीश को दक्षिणा में देना पड़ता है अर्थात उसे अभिमान का त्याग करना होता है। किंतु जो यह नहीं कर सकता और प्रेम का नाम लेता है, वह तो लोभी है जिसके अंदर त्याग की भावना नहीं हो सकती।

प्रेम भाव एक चाहिए, भेष अनेक बनाय। 
चाहे घर में बास कर, चाहे बन को जाय॥

अपने अंदर प्रेम का भाव एक ही होना चाहिए, चाहे उसे आप जैसे भी दिखाएँ। कबीर दास जी भगवान् राम और भरत के प्रेम की ओर संकेत करके कहते हैं कि दोनों का प्रेम एक ही समान और अतुलनीय था। एक ने पिता के प्रति अपने प्रेम को वन जाकर निभाया था और दूसरे ने अपने भाई के प्रति प्रेम को राजमहल में सिंघासन पर खडाऊ रखकर निभाया था। 

जे घट प्रेम न संचरै, ते घट जान समान।
जैसे खाल लुहार की, सांस लेत बिनु प्रान॥ 

जिसके हृदय में प्रेम नहीं है, वह जीव शमशान के सदृश्य भयानक एवं त्याज्य होता है। जिस प्रकार लुहार की धौंकनी के भरी हुई खाल बग़ैर प्राण के सांस लेती है उसी प्रकार वह जीव भी प्रेम के बिना मृत के समान शमशान स्वरुप होता है।

जल में बसै कमोदिनी, चंदा बसै अकास। 
जो है जाको भावना, सो ताही के पास॥

जैसे कमल जल में खिलता है, चंद्रमा आकाश में रहता है। इस दुनिया की भी यही रीति है कि जिसको जो भाता है, वह उसी के पास रहता है।

भक्ति भाव भादों नदी, सबै चलीं घहराय। 
सरिता सोइ सराहिये, जो जेठ मास ठहराय॥

वैसे तो भक्ति, भावना और वर्षा ऋतु (भादों) की नदी सभी घहरे दिखते हैं। लेकिन सराहना उसी की करनी चाहिए जो विपत्ति में भी साथ दे, जैसे नदी वही सराहनीय है जो गर्मी की ऋतु में भी जल देती है। 

जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ, गहिरे पानी पैठ। 
जो बौरा डूबन डरा, रहा किनारे बैठ॥

जिसने सच्चे प्रेम को ढूँढा, उसको वह मिल गया। लेकिन इसके लिए प्रेम की अनजान गहराइयों में उतरना पड़ता है। जो पागल इन गहराइयों में डूबने से डर गया, उसको प्रेम नहीं मिलता क्योंकि वह छिछले धरातल (किनारे) पर ही बैठा रह गया। 

कहते हैं, हर रचना में अर्थ पर पाठक का अधिकार होता है, न कि कवि का। वही दुस्साहस करके मैंने इन दोहों के अर्थ लिखे हैं। त्रुटियों को क्षमा करें और आवश्यकतानुरूप सुझाएँ।

सफेद दाग का ईलाज


सबसे पहली बात विरुद्ध आहार छोड़ दो ( सब्जी-रोटी खाये और ऊपर से थोड़ी देर बाद दूध पी लियादूध पिया है फिर थोड़ी देर बाद कुछ खा लिया नमक मिर्च वाला ) 
 सफेद दाग का ईलाज :-
एक मुट्ठी काले चने१२५ मिली पानी में डाल दे सुबह ८-९ बजे डाल दे.... उसमे १० गरम त्रिफला चूर्ण डाल दे२४ घंटे वो पड़ा रहे ...ढक के रह दे ... २४ घंटे बाद वो छाने जितना खा सके चबाकर के खाये.... सफ़ेद दाग जल्दी मिटेंगें और होमियोपैथीक दवा लेंसफ़ेद दाग होमियोपैथी से जल्दी मिटते है |
*शरीर का विषैला तत्व (Toxic) बाहर निकलने से न रोकें जैसे- मलमूत्रपसीने पर डीयो न लगायें।

*मिठाईरबडीदूध व दही का एक साथ सेवन न करें।
*गरिष्ठ भोजन न करें जैसे उडद की दालमांस व मछली।
*भोजन में खटाईतेल मिर्च,गुड का सेवन न करें।
*अधिक नमक का प्रयोग न करें।
*ये रोग कई बार वंशानुगत भी होता है।
*रोज बथुआ की सब्जी खायेंबथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें । ठीक होगा धैर्य की जरूरत है।
*अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये लाभ होगा।
*रिजका (Alfalfa) सौ ग्रामरिजका सौ ग्रा ककडी का रस मिलाकर पियें दाद ठीक होगा।
*लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है।
*लहसुन के रस में हरड को घिसकर कर लेप करें साथ साथ सेवन भी करें।
*पानी में भीगी हुई उडद की दाल पीसकर सफेद दाग पर चार माह तक लगाने से दाद ठीक हो जायेगा।
*तुलसी का तेल बनायेंजड़ सहित एक हरा भरा तुलसी का पौधा लायेंधोकर कूटपीस लें रस निकाल लें। आधा लीटर पानी आधा किलो सरसों का तेल डाल कर पकायें हल्की आंच पर सिर्फ तेल बच जाने पर छानकर शीशी में भर लें। ये तेल बन गया अब इसे सफेद दाग पर लगायें।
*नीम की पत्तीफूलनिंबोलीसुखाकर पीस लें प्रतिदिन फंकी लें।सफेद दाग के लिये नीम एक वरदान है। कुष्ठ जैसे रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। कोई बी सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायेंनीम लगायें ,नीम के नीचे सोये,नीम को बिछाकर सोयेंपत्ते सूखने पर बदल दें। पत्ते,फल निम्बोली,छाल किसी का भी रस लगायें वएक च. पियेंभी।जरूर फायदा होगा कारण नीम खु में एक एंटीबायोटिक है।ये अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ रखता है। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। नीम की पत्तीनिम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तततक शरबत पियें तो सफेद दाग से मुक्ति मिल जायेगी। नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें तो गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो सकता है।
 
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सफेद दाग दूर करने के घरेलू नुस्खे

सफेद दाग को लोगों ने कुष्ट रोग का नाम दिया है, ऐसे नामों से प्रायः लोग घबरा जाते हैं मगर सफेद दाग छूत की बीमारी नहीं है। संक्रामक रोग नहीं है। केवल त्वचा का रंग बदल जाता है किसी कारण से। अगर सही समय पर इसका इलाज किया जायें, तो समय जरूर लगेगा परंतु यह ठीक हो सकता है। इसके इलाज के लिये धैर्य की जरूरत होती है। इलाज करते-करते इन दागों के बीच में काले काले धब्बे पड़ते है। इसके लिये घबराइये नहीं। काले निशान फैलते जानने का संकेत सफेद दाग के ठीक होने का है। धीरे-धीरे काले निशान फैलते जायेंगे और सफेदी खत्म होती जायेगी। त्वचा का रंग सामान्य होता जाएगा। सफेद दाग त्वचा पर क्यों होते हैं इसका कोई विशेष कारण साफ-साफ पता नहीं चला है। मगर फिर भी कुछ कारण ऐसे है जिनकी वजह से सफेद दाग होते हैं व तेजी से फैलते भी हैं जैसे- *विरोधी भोजन लेने से। दूध व मछली साथ-साथ न लें।*शरीर का विषैला तत्व (Toxic) बाहर निकलने से न रोकें जैसे- मल, मूत्र, पसीने पर डीयो न लगायें। *मिठाई, रबडी, दूध व दही का एक साथ सेवन न करें।*गरिष्ठ भोजन न करें जैसे उडद की दाल, मांस व मछली। *भोजन में खटाई, तेल मिर्च,गुड का सेवन नकरें।*अधिक नमक का प्रयोग न करें।*ये रोग कई बार वंशानुगत भी होता है।*रोज बथुआ की सब्जी खायें, बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें । ठीक होगा धैर्य की जरूरत है।*अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये लाभ होगा।*रिजका (Alfalfa) सौ ग्राम, रिजका सौ ग्रा ककडी का रस मिलाकर पियें दाद ठीक होगा।*लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है। *छाछ रोजना दो बार पियें सफेद दाग ठीक हो सकता है।*लहसुन के रस में हरड को घिसकर कर लेप करें साथ साथ सेवन भी करें। *पानी में भीगी हुई उडद की दाल पीसकर सफेद दाग पर चार माह तक लगाने से दाद ठीक हो जायेगा।* हल्दी एक औषधि है। इससे त्वचा रोग में फायदा होता है। सौ ग्राम हल्दी, चार सौ ग्राम स्पिरिट (स्प्रिट) लेकर मिलायें और खाली शीशी में भर कर रख दें धूप में दिन में कम से कम तीन बार हिलायें जोर-जोर से। ये टिंचर का का करेगा दिन में तीन बार शरीर पर लगायें। हल्दी गर्म दूध में डालकर पियें छः महीने कम से कम। *तुलसी का तेल बनायें, जड़ सहित एक हरा भरा तुलसी का पौधा लायें, धोकर कूटपीस लें रस निकाल लें। आधा लीटर पानी आधा किलो सरसों का तेल डाल कर पकायें हल्की आंच पर सिर्फ तेल बच जाने पर छानकर शीशी में भर लें। ये तेल बन गया अब इसे सफेद दाग पर लगायें। *नीम की पत्ती, फूल, निंबोली, सुखाकर पीस लें प्रतिदिन फंकी लें।सफेद दाग के लिये नीम एक वरदान है। कुष्ठ जैसे रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। कोई बी सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायें, नीम लगायें ,नीम के नीचे सोये ,नीम को बिछाकर सोयें, पत्ते सूखने पर बदल दें। पत्ते,फल निम्बोली,छाल किसी का भी रस लगायें वएक च. पियेंभी।जरूर फायदा होगा कारण नीम खु में एक एंटीबायोटिक है।ये अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ रखता है। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। नीम की पत्ती, निम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तततक शरबत पियें तो सफेद दाग से मुक्ति मिल जायेगी। नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें तो गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो सकता है।  

करेला {bitter melon} benefits



खाली पेट करेले का रस का सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है। 
करेला कफ,वायु,बुखार,कृमि,पित्त,रक्तदोष आदि को ठीक रखने में सहायता करता है। 
करेले का निकला हुआ रस पीने से पेट के रोगों में लाभ होता है। 
करेले का रस रक्त को शुद्ध करता है। 
करेले का सेवन कब्ज एवं मूत्र सम्बन्धित विकारों में लाभदायक है।
मधुमेय में करेले का सेवन रामबाण सिद्ध होता है।


१- करेले के ताजे फलों अथवा पत्तों को कूटकर रस निकालकर गुनगुना करके १-२ बूँद कान में डालने से कान-दर्द लाभ होता है |
२- करेले के रस में सुहागा की खील मिलाकर लगाने से मुँह के छाले मिटते हैं |
३-सूखे करेले को सिरके में पीसकर गर्म करके लेप करने से कंठ की सूजन मिटती है ।
४- १०-१२ मिली करेला पत्र स्वरस पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं |
५- करेला के फलों को छाया शुष्क कर महीन चूर्ण बनाकर रखें | ३-६ ग्राम की मात्रा में जल या शहद के साथ सेवन करना चाहिए | मधुमेह में यह उत्तम कार्य करता है | यह अग्नाशय को उत्तेजित कर इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाता है |
६- १०-१५ मिली करेला फल स्वरस या पत्र स्वरस में राई और नमक बुरक कर पिलाने से गठिया में लाभ होता है |
७- करेला पत्र स्वरस को दाद पर लगाने से लाभ होता है | इसे पैरों के तलवों पर लेप करने से दाह का शमन होता है|
८- करेले के १०-१५ मिली रस में जीरे का चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार पिलाने से शीत-ज्वर में लाभ होता है |

सोलन। करेला केवल कड़वी सब्जी नहीं, बल्कि अब यह स्वास्थ्य एवं धन अर्जन का साधन भी बन गया है। शुगर रोगियों के लिए यह दवा से कम नहीं है और अब तो रोगी इसकी वाइन भी पी सकेंगे। नौणी विश्वविद्यालय के वैनिकों ने करेले से वाइन तैयार करने में सफलता हासिल कर ली है। इससे अब करेले की मांग भी बढ़ेगी व किसानों को ज्यादा फायदा भी मिलेगा।
वैसे तो फलों से तैयार होने वाली वाइन में स्वास्थ्य का खजाना छिपा होता है, लेकिन इसमें शुगर की मात्र अधिक होने के कारण मधुमेह के रोगी इसे नहीं ले सकते। अब यदि करेले से वाइन तैयार होती है तो शुगर रोगी भी इसकी चुस्कियां ले सकेंगे। वैज्ञानिकों ने करेले के कसैले स्वाद को कम करने के लिए इसके जूस को एप्पल व अंगूर के जूस के साथ फर्मेंटेशन किया, जिससे इसमें अच्छा स्वाद आया। इसमें अढ़ाई से तीन फीसद ही अल्कोहल होता है। यह वाइन को शुगर रोगी के लिए स्वाद व सेहत से लबरेज होगी।
डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विवि के फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के एमएससी छात्र नवीन कुमार ने बताया कि करेला शुगर के रोगियों के लिए रामबाण का काम करता है। इसलिए उन्होंने शुगर रोगियों के लिए वाइन तैयार करने की दिशा में कार्य आरंभ किया।
1986 से हो रहा फ्रूट वाइन पर शोध हिमाचल में फलों की पैदावार के चलते फ्रूट वाइन पर नौणी विवि में 1986 से फ्रूट वाइन पर शोध कार्य चल रहा है। यहां प्रदेश में पाए जाने वाले फल सेब, आड़, प्लम, जंगली खुमानी, स्ट्राबेरी, नाशपाती से फ्रूट वाइन तैयार की है। इसके अलावा बरमूथ व एप्पल से साइडर विनेगर भी यूनिवर्सिटी के वैनिकों ने तैयार किया है। फ्रूट वाइन में विटामिन, मिनरल, शुगर पाई जाती है, जिसके कारण यह हृदय के रोगियों के लिए लाभकारी है। यह बॉडी में लियोप्रोटीन के घनत्व को बढ़ाता है और एंथ्रोजैनिक एपोप्रोटीन की मात्र को कम करता है। इसके अलावा वाइन में फिलोलिक तत्व पाए जाते हैं, जो इसके महत्व को बढ़ाते हैं। करेले के जूस को हृदय संबंधी रोग के लिए भी अच्छा बताया जाता है।

गहरी नींद के आसान उपाय......

गहरी नींद के आसान उपाय........

* रात्रि भोजन करने के बाद पन्द्रह से बीस मिनट धीमी चाल से सैर कर लेने के बाद ही बिस्तर पर जाने की आदत बना लेनी चाहिए। इससे अच्छी नींद के अलावा पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।

* अगर तनाव की वजह से नींद नहीं आ रही हो या फिर मन में घबराहट सी हो तब अपना मन पसंद संगीत सुनें या फिर अच्छा साहित्य या स्वास्थ्य से संबंधित पुस्तकें पढ़ें, ऐसा करने से मन में शांति का भाव आएगा, जो गहरी नींद में काफी सहायक होता है।

* अनिद्रा के रोगी को अपने हाथ-पैर मुँह स्वच्छ जल से धोकर बिस्तर पर जाना जाहिए। इससे नींद आने में कठिनाई नहीं होगी। एक खास बात यह कि बाजार में मिलने वाले सुगंधित तेलों का प्रयोग नींद लाने के लिए नहीं करें, नहीं तो यह आपकी आदत में शामिल हो जाएगा।


* सोते समय दिनभर का घटनाक्रम भूल जाएँ। अगले दिन के कार्यक्रम के बारे में भी कुछ न सोचें। सारी बातें सुबह तक के लिए छोड़ दें। दिनचर्या के बारे में सोचने से मस्तिष्क में तनाव भर जाता है, जिस कारण नींद नहीं आती।


* अपना पलंग मन-मुताबिक ही चुनें और जिस मुद्रा में आपको सोने में आराम महसूस होता हो, उसी मुद्रा में पहले सोने की कोशिश करें। अनचाही मुद्रा में सोने से शरीर की थकावट बनी रहती है, जो नींद में बाधा उत्पन्न करती है।


* अगर अनिद्रा की समस्या पुरानी और गंभीर है, नींद की गोलियाँ खाने की आदत बनी हुई है तो किसी योग चिकित्सक की सलाह लेकर शवासन का अभ्यास करें और रात को सोते वक्त शवासन करें। इससे पूरे शरीर की माँसपेशियों का तनाव निकल जाता है और मस्तिष्क को आराम मिलता है, जिस कारण आसानी से नींद आ जाती है।


* अच्छी नींद के लिए कमरे का हवादार होना भी जरूरी है। अगर मौसम बाहर सोने के अनुकूल है तो छत पर या बाहर सोने को प्राथमिकता दें। कमरे में कूलर-पँखा या फिर एयर कंडीशनर का शोर ज्यादा रहता है, तो इनकी भी मरम्मत करवा लेनी चाहिए, क्योंकि शोर से मस्तिष्क उत्तेजित रहता है, जिस कारण निद्रा में बाधा पड़ जाती है।

* सोने से पहले चाय-कॉफी या अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करें। इससे मस्तिष्क की शिराएँ उत्तेजित हो जाती हैं, जो कि गहरी नींद आने में बाधक होती हैं।