Thursday 22 May 2014

धूम्रपान बिगाड़ सकता है आपका रूप

धूम्रपान का सुन्‍दरता पर असर
धूम्रपान के आदी लोगों को दिल, फेफड़े, मस्तिष्क और सेक्स जीवन पर धूम्रपान के बुरे प्रभावों की काफी हद तक जानकारी है। लेकिन, इस घातक आदत के प्रभाव आपकी सोच से भी ज्‍यादा भीषण है। यह आपके आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाने के अलावा आपके रूप को भी बिगाड़ सकता है। यह आपको पीला और बीमार और समग्र व्यक्तित्व को बिगाड़ सकता है।




आंखों के आस-पास काले घेरे और सूजन
धूम्रपान करने वालों को रात को ठीक से नींद नहीं आती है। निकोटीन के कारण रात को बेचैनी रहने के कारण नींद की कमी पाई जाती है। नतीजतन आंखों के आस-पास काले घेरे और सूजन की समस्‍या होती है।




सोरायसिस
सोरायसिस त्‍वचा की वह स्थिति है जो धूम्रपान न करने वालों को भी हो सकती है। लेकिन सिगरेट की लत इस बीमारी के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा देती है।




पीले दांत
सुन्‍दरता को बरकरार रखने में हमारे दांतों का बहुत बड़ा योगदान होता है। लेकिन सिगरेट में मौजूद निकोटीन आपके दांतों को पीला कर देता है। सिगेरट से दांतों पर दाग आ जाते हैं और धीरे-धीरे दांत अपनी चमक और असली रंग को खो देते हैं।


झुर्रियां
औसतन, धूम्रपान करने वाले न करने वालों की तुलना में लगभग 1.4 साल तक अधिक बड़े दिखाते हैं। धूम्रपान त्‍वचा को स्‍वस्‍थ रखने वाले ऊतकों को रक्त की आपूर्ति करने में बाधा उत्‍पन्‍न करता है। जिसके परिणामस्‍वरूप आपके चेहरे पर झुर्रियां आने लगती है और आप उम्र से पहले बढ़े लगने लगते हैं।



उंगलियों पर पीलापन
निकोटीन सिर्फ आपके दांतों को ही पीला नहीं करता बल्कि इससे आपकी उंगलियों और नाखूनों में भी पीलापन आने लगता है। इस तरह से आपकी सुंदरता कम होने लगती है।



पतले बाल
आपकी त्‍वचा, दांत और आंखों के अलावा सिगरेट आपके बालों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। सिगरेट में मौजूद केमिकल बालों के रोम में मौजूद डीएनए को हानि पहुंचाता है। और निरंतर धूम्रपान करने से सेल हानिकारण मुक्त कण उत्‍पन्‍न करने लगते हैं जिससे बालों के गिरने की समस्‍या होती है।




निशान
निकोटीन शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को प्रतिबंधित कर देता है जिससे रक्त वाहिकाएं संकरी हो जाती है। इसके कारण घावों को ठीक होने में बहुत अधिक समय लगता है और निशान लाल रंग के प्रतित होने लगते हैं।



दांतों का टूटना
धूम्रपान कई प्रकार की दंत समस्‍याओं जैसे ओरल कैंसर और अन्‍य कई प्रकार के मसूड़ों के रोगों का कारण बनता है जिससे दांतों को नुकसान हो सकता है। 



बेजान त्‍वचा
झुर्रियां और सूजी हुई आंखों के अलावा धूम्रपान से आपकी त्‍वचा सूखी, पीली और बेजान कर सकता है। त्‍वचा का इस तरह से रंग बदलना सिगरेट के धुएं के कारण होता है। सिगरेट के धुएं में उपस्थित कार्बन मोनोऑक्साइड आपकी त्वचा में ऑक्सीजन की जगह ले लेती है, और निकोटीन रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न करती है।



स्‍ट्रेच मार्क्‍स
सिगरेट में मौजूद निकोटीन त्‍वचा में फाइबर और संयोजी ऊतको को नुकसान पहुंचाता है जिससे त्‍वचा में लोच और शक्ति में कमी आती है। वैसे तो तेजी से वजन बढ़ने या घटने के कारण शरीर पर स्‍ट्रेच मार्क्‍स के निशान आ जाते हैं। जो सामान्‍य तौर पर हल्‍की लकीरों जैसे होते हैं। लेकिन निकोटीन के कारण उत्‍पन्‍न मार्क्‍स के निशान कभी नहीं जाते हैं।</div>

नींबू के 30 घरेलू नुस्खे –

नींबू के 30 घरेलू नुस्खे – 


_ नींबू का रस आपको ताज़गी का एहसास तो दिलाता ही है, साथ ही कई प्रकार की स्वास्थ्य 

संबंधी समस्याओं से मुक्ति 

भी दिलाने का काम करता है 


1-शुद्ध शहद में नींबू की शिकंजी पीने से मोटापा दूर होता है।


2-नींबू के सेवन से सूखा रोग दूर होता है।


 3-नींबू का रस एवं शहद एक-एक तोला लेने से दमा में आराम मिलता है।


 4-नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है।


 5- नींबू में पिसी काली मिर्च छिड़क कर जरा सा गर्म करके चूसने से मलेरिया ज्वर में आराम 

मिलता है।


 6-नींबू के रस में नमक मिलाकर नहाने से त्वचा का रंग निखरता है और सौंदर्य बढ़ता है।


 7- नौसादर को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद ठीक होता है।


 8- नींबू के बीज को पीसकर लगाने से गंजापन दूर होता है। 


9-बहरापन हो तो नींबू के रस में दालचीनी का तेल मिलाकर डालें।


 10-आधा कप गाजर के रस में नींबू निचोड़कर पिएं, रक्त की कमी दूर होगी। 


11- दो चम्मच बादाम के तेल में नींबू की दो बूंद मिलाएं और रूई की सहायता से दिन में कई बार 

घाव पर लगाएं, घाव 

बहुत जल्द ठीक हो जाएगा।


 12- प्रतिदिन नाश्ते से पहले एक चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच ज़ैतून का तेल पीने से 

पत्थरी से छुटकारा 

मिलता है।


 13- किसी जानवर के काटे या डसे हुए भाग पर रूई से नींबू का रस लगांए, लाभ होगा। 


14- एक गिलास गर्म पानी में नींबू डाल कर पीने से पांचन क्रिया ठीक रहती है।


 15- चक्तचाप, खांसी, क़ब्ज़ और पीड़ा में भी नींबू चमत्कारिक प्रभाव दिखाता है।


 16- विशेषज्ञों का कहना है कि नींबू का रस विटामिन सी, विटामिन, बी, कैल्शियम, फ़ास्फ़ोरस, 

मैग्नीशियम, प्रोटीन 

और कार्बोहाईड्रेट से समृद्ध होता है। 17- विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मसूढ़ों से ख़ून रिसता हो 

तो प्रभावित जगह पर 

नींबू का रस लगाने से मसूढ़े स्वस्थ हो जाते हैं।


18- नींबू का रस पानी में मिलाकर ग़रारा करने से गला खुल जाता है। 


19- नींबू के रस को पानी में मिलाकर पीने से त्वचा रोगों से भी बचाव होता है अतः त्वचा 

चमकती रहती है, कील 

मुंहासे भी इससे दूर होते हैं और झुर्रियों की भी रोकथाम करता है। 


20- नींबू का रस रक्तचाप को संतुलित रखता है। 


21-अगर बॉडी में विटामिन सी की मात्रा कम हो जाए, तो एनिमिया, जोड़ों का दर्द, दांतों की 

बीमारी, पायरिया, खांसी 

और दमा जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। नीबू में विटामिन सी की क्वॉन्टिटी बहुत ज्यादा होती है। 

इसलिए इन बीमारियों 

से दूरी बनाने में यह आपकी मदद करता है।


 22- पेट खराब, पेट फूलना, कब्ज, दस्त होने पर नीबू के रस में थोड़ी सी अजवायन, जीरा, हींग, 

काली मिर्च और नमक 

मिलाकर पीने से आपको काफी राहत मिलेगी। 


23- गर्मी में बुखार होने पर अगर थकान महसूस हो रही हो या पीठ और बांहों में दर्द हो, तो भी 

आपके पास नींबू का 

उपाय है। आप एक चम्मच नींबू के रस में दस बूंद तुलसी की पत्तियों का रस, चार काली मिर्च और 

दो पीपली का चूर्ण 

मिलाकर लें। इसे दो खुराक के तौर सुबह-शाम लें।


 24-चेहरे पर मुंहासे होना एक आम समस्या है। इसे दूर करने के लिए नींबू रस में चंदन घिसकर 

लेप लगाएं। अगर दाद 

हो गया है, तो इसी लेप में सुहागा घिसकर लगाएं, आपको आराम मिलेगा।


 25- कई बार लंबी दूरी की यात्रा करने पर शरीर में बहुत थकान महसूस होती है। ऐसे में एक 

गिलास पानी में दो नींबू 

निचोड़कर उसमें 50 ग्राम किशमिश भिगो दें। रातभर भीगने के बाद सुबह किशमिश पानी में मथ 

लें। यह पानी दिनभर 

में चार बार पिएं। इससे एनर्जी मिलेगी और बॉडी की फिटनेस भी बनी रहेगी।


 26-अधिक थकान और अशांति के कारण कई बार नींद नहीं आती। अगर आप भी इस प्रॉब्लम से 

जूझ रहे हैं, तो लेमन 

रेमेडी अपनाएं। रात को सोने से पहले हाथ- पांव, माथे, कनपटी व कान के पीछे सरसों के तेल की 

मालिश करें। इसके 

बाद थोड़े से नीबू के रस में लौंग घिसकर चाट लें। ऐसा करने से आपको नींद बहुत जल्दी आएगी।


 27-मोटापे से आजकल हर दूसरा शख्स परेशान होता है। इससे छुटकारा पाने के लिए आप मूली 

के रस में नीबू का रस 

व थोड़ा नमक मिलाकर नियमित रूप से लें। मोटापा दूर होगा। 


28- अगर याददाश्त कमजोर हो गई है, तो गिरी, सोंठ का चूर्ण और मिश्री को पीसकर नींबू के रस 

में मिलाएं। फिर इसे 

धीरे-धीरे उंगली से चाटें। 


29-सुंदर दिखना तो सभी चाहते हैं। अगर आपकी भी यही चाहत है, तो एक चम्मच बेसन, आधा 

चम्मच गेहूं का आटा, 

आधा चम्मच गुलाब जल और आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर लोशन तैयार करें। इसे धीरे-

धीरे चेहरे पर मलें। कुछ 

ही दिनों में आपका चेहरा निखर जाएगा।


 30- जहां तक हो सके, कागजी पीले रंग के नीबू का यूज करें। इसमें दो चुटकी सेंधा नमक या 

काला नमक मिला सकते 

हैं।
............................................................

सफेद मूसली के फूल से मधुमेह का इलाज संभव IN ENGLISH




Grevillea robusta A. CUNN. EX R. BR. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Dysentery with gastric symptoms and discharge of white mucus with much tenesmus.
Grewia abutilifolia VENT. EX JUSS. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Scanty discharge of dark red urine with tenesmus.
Grewia asiatica L. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Nausea from the odor of fat meat or eggs.
Grewia helicterifolia WALL. EX G.DON -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Bad effects from suppressed perspiration.
Grewia hirsuta VAHL -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Aggravation in the evening, during an expiration.
Grewia orbiculata ROTTL. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Amelioration while stooping.
Grewia rhamnifolia HEYNE. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-A falling off of both nails and hair.
Grewia rothii DC. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Inclination to become angry and indignant.
Grewia sapida ROXB. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Constrictions and contraction of internal and external parts.
Grewia subinaequalis DC. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Dropsical swelling and dropsy of the skin.
Grewia tiliaefolia VAHL -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Tingling in the points of the fingers and toes.
Grewia villosa WILLD. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-All the limbs are drawn together.
Guizotia abyssinica CASS -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Shortening of the muscles.
Gymnema sylvestre R.BR. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Twitching of the muscles.
Habenaria commelinifolia (ROXB.) LINDL. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Frequent startings.
Habenaria diphylla DALZ. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Stiffness of the joints.
Habenaria plantaginea LINDL. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Tearing pains longitudinally.
Habenaria roxburghii (PERS.) R.BR. -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Colicky pains in the abdomen compelling one to bend double with great anguish and restless constriction in the bowels or pain as if cutting with knives, or pain as though the bowel was pressed between two stones.
Hackelochloa granularis (L.) KUNTZE -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Pain in the hip and when walking a sensation as if the psoas muscle was too short.
Haldina cordifolia (ROXB.) RIDSDALE -Parthenium hysterophorus (Gajar Ghas or Congress Weed) Allelopathic Interactions: Research Documents (Medicinal Plants of Chhattisgarh, India) from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database on use of Alien Invasive species as additional ingredient in Traditional Indigenous Herbal Medicines (Herbal Formulations) for Key Symptom-Weakness and debility from night study and from loss of sleep. 

वीर्य को पुष्ट करती है सफेद मूसली

सफेद मूसली

कोरिया, चीन और भूटान जैसे देशों में पाए जाने वाले जिंसेंग ने भारतीय बाजार में पैठ जमाना शुरु कर दिया है, कई सेहत से जुडे उत्पादों में जिंसेंग को समाहित कर भारत देश में खूब प्रचारित करके बेचा भी जा रहा है।


मजे की बात ये भी है कि जिंसेंग आयात के जरिये ही हमारे देश तक पहुंच रहा है। ये बात समझ से परे है कि सफेद मुसली, गोखरू, अश्वगंधा, पुनर्नवा जैसी जडी-बूटियों को छोड क्यों हम जिंसेंग की तरफ भाग रहे? या तो हम अपने स्वदेशी ज्ञान पर कम भरोसा कर रहे या ये तय है कि हम विज्ञापन देखकर निर्णय लेने लगे हैं। जिंसेंग को चीन में श्रेष्ठ वाजीकरण जड़ी माना जाता है। 


आदिकाल से इसे एक महत्वपूर्ण टोनिक और सेहत दुरुस्त करने वाली जडी के तौर पर इस्तमाल किया जाता रहा है। तमाम पौराणिक लेखों से लेकर कई अत्याधुनिक शोधों ने भी इसकी असर क्षमता को प्रमाणित किया है।

सफ़ेद मुसली पुरुषों को शारीरिक तौर पर पुष्ट बनाने के अलावा इनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढाने में मददगार है। यही नहीं, कई शोध परिणाम ये भी बताते हैं कि डायबिटीस के बाद होने वाली नपुंसकता की शिकायतों में भी सफ़ेद मुसली क्लिनिकल तौर पर सकारात्मक असर करते दिखाई दी। 


चाईनीस जर्नल ओफ़ इंटीग्रेटड मेडिसन में प्रकाशित दिसंबर 2009 की एक रपट के अनुसार पोलीसेकेराईड और सेपोनिन से भरपूर इस जडीबूटी को सेक्सुअल डिसफंक्शन जैसी समस्याओं के निवारण के लिए सटीक माना गया है, इसके क्लिनिकल प्रमाण वाकई चौकाने वाले हैं।

आर्काइव्स ओफ़ सेक्सुअल बिहेवियर जर्नल में भी ऐसी ही शोध पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी हैं, इसके अलावा सैकडों ऐसे शोधपत्र हैं जिनमें इसके गुणों का बखान किया गया है और अनेक एनिमल स्ट्डीस भी की गयी। 


आदिवासी अंचलों में आदिवासी हर्बल जानकार प्रतिदिन 2 से 4 ग्राम सफ़ेद मूसली की जडों के चूर्ण के सेवन की सलाह देते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये चूर्ण पुरुषों में सेक्स से संबंधित कई विकारों को दुरुस्त कर देता है।

इस चूर्ण का सेवन लम्बे समय तक करने पर भी किसी तरह की परेशानी नहीं। चाहे वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम हो, नपुंसकता की शिकायत हो या स्वप्नदोष, मूसली हमेशा हर्बल जानकारों द्वारा सुझाई जाती है



कई बीमारियों में लाभकारी है मुलहठी...

मुलहठी जहां शरीर को शक्तिशाली बनाती है, वहीं अन्य कई रोगों में वह लाभकारी हैं। खासकर महिलाओं में होने वाले अनियमित मासिक ऋतुस्राव के लिए तो एक विशेष औषधि के तौर पर प्रयोग की जाती है। 



मुलहठी एक पौष्टिक औषधि : 

शरीर को पुष्ट, सुडौल और शक्तिशाली बनाने के लिए किसी भी आयु वाले स्त्री या पुरुष सुबह और रात को सोने से पहले मुलहठी का महीन पिसा हुआ चूर्ण 5 ग्राम, आधा चम्मच शुद्ध घी और डेढ़ चम्मच शहद में मिलाकर चाटें और ऊपर से मिश्री मिला ठंडा किया हुआ दूध घूंट-घूंट कर पिएं। यह प्रयोग कम से कम 40 दिन करें। बहुत लाभकारी है।


मुलहठी का चूर्ण 5 ग्राम थोड़े शहद में मिलाकर चटनी जैसा बनाकर चाटने और ऊपर से मिश्री मिला ठंडा किया हुआ दूध घूंट-घूंटकर पीने से मासिक स्राव नियमित हो जाता है। इसे कम से कम 40 दिन तक सुबह-शाम पीना चाहिए और तले पदार्थ, गरम मसाला, लाल मिर्च, बेसन के पदार्थ, अंडा व मांस का सेवन बंद रखें। ऊष्ण प्रकृति के पदार्थों का सेवन न करें। यह महिलाओं के मासिक ऋतुस्राव की अनियमितता को दूर करती है। 

कफ प्रकोप व खांसी : 

ग्राम मुलहठी चूर्ण 2 कप पानी में डालकर इतना उबालें कि पानी आधा कप बचे। इस पानी को आधा सुबह और आधा शाम को सोने पहले पी लें। 3-4 दिन तक यह प्रयोग करना चाहिए। इस प्रयोग से कफ पतला हो जाता है और ढीला हो जाता है, जिससे बड़ी आसानी से निकल जाता है और खांसी व दमा के रोगी को बड़ी राहत मिलती है।


मुंह के छाले : 

मुलहठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से मुंह के छाले ठीक होते हैं। इसके चूर्ण को थोड़े से शहद में मिलाकर चाटने से भी आराम होता है।


हिचकी : 

मुलहठी चूर्ण शहद के साथ चाटने से हिचकी आना बंद होता है। यह प्रयोग वात और पित्त का शमन भी करता है।



पेट दर्द : 

वात प्रकोप से होने वाले उदरशूल में ऊपर बताए गए मुलहठी के काढ़े का सेवन आधा सुबह और आधा शाम को करने से बादी का उदरशूल ठीक हो जाता है।



बलवीर्यवर्द्धक और सुडौल शरीर : 

मुलहठी का चूर्ण 5 ग्राम और 5 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण थोड़े से घी में मिलाकर चाट लें और ऊपर से 1 गिलास मिश्री मिला मीठा दूध पिएं। लगातार 60 दिन तक यह प्रयोग सुबह-शाम करने से खूब बलवीर्य की वृद्धि होती है और शरीर पुष्ट व सुडौल होता है। 



दाह (जलन) : 

मुलहठी और लाल चंदन पानी के साथ घिसकर लेप करने से दाह (जलन) शांत होती है। केश एवं नेत्रों के लिए इसका प्रयोग अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। 


जहरीली आइसक्रीम और टॉफियाँ


ये आइसक्रीम जहरीली हो सकती है



















आप जो बिस्किट, टॉफी या आइसक्रीम स्वास्थ्यवर्धक मानकर स्वाद-स्वाद में खा रहे हैं। आगे चलकर वह आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। केवल स्थानीय कंपनियाँ ही नहीं कई बड़ी-बड़ी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पाद भी इसी श्रेणी में आ सकते हैं। कारण है कि कुछ बड़ी कंपनियों ने अपने उत्पाद तैयार करने के लिए जीन परिवर्तित (जेनेटिकली मॉडिफाइड) यानी जीएम खाद्य वस्तुओं का प्रयोग करने से साफ तौर पर मना नहीं किया है।

मंगलवार को नई दिल्ली में ग्रीनपीस द्वारा जारी 'जीएम मुक्त खाद्यान्न' नाम से दिशा निर्देशों संबंधी किताब में इसका खुलासा किया गया है। यह किताब ऐसे समय में जारी की गई है जब सरकार बीटी बैंगन की खेती के लिए हरी झंडी देने की तैयारी में है। संगठन के जय कृष्णा ने कहा कि बीटी खाद्यान्न लोगों की सेहत पर क्या प्रभाव डालते हैं इसका अभी कोई परीक्षण मौजूद नहीं है। जीएम खाद्यान्नों के संबंध में चूहों पर प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों से एलर्जी, लीवर और किडनी पर दुष्प्रभाव के प्रमाण सामने आए हैं। 

किताब में हरे और लाल रंग में कुल दो सूचियाँ जारी की गई हैं। फिलहाल देश में जीन परिवर्तित खाद्य पदार्थों का उत्पादन, प्रयोग और आयात करने पर प्रतिबंध है। ग्रीनपीस के सैयद महबूब ने बताया कि बहुत सी बड़ी कंपनियों ने भविष्य में अपने उत्पादों में जीएम खाद्यों का प्रयोग करने से स्पष्ट इनकार नहीं किया है। ऐसी कंपनियों को किताब में लाल सूची में रखा गया है। ब्रिटानिया, सफल, हिंदुस्तान लीवर, नेस्ले, कैलॉग्ज, कैडबरीज, एग्रोटेक फूड्स, फील्ड फ्रेश, और गोदरेज की हर्शीग फूड्स को इसी सूची में रखा गया है। 

ये कंपनियाँ बड़े स्तर पर बिस्किट, आइसक्रीम, टॉफी-गोली, चॉकलेट, दुग्ध उत्पाद और अन्य खाद्य पदार्थों का उत्पादन कर बेचती हैं। ग्रीनपीस के मुताबिक जीन संवर्धित उत्पाद स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक होते हैं। बीटी बैंगन के बाद टमाटर, धान, सरसों, आलू, प्याज, बंदगोभी, फूल गोभी, मक्का, सेब, केला, चना, गेहूँ सहित 41 चीजें जीन परिवर्तन के अलग-अलग प्रयोगों की स्थिति में हैं। आईटीसी फूड्स, रुचि सोया, हल्दीराम, डाबर और एमटीआर को हरी सूची में रखा गया है।

Friday 16 May 2014

चिकनगुनिया के घरेलू उपचार


यूं तो हमेशा से ही डॉक्टर्स हेल्दी और फिट रहने की सलाह देते हैं और उसके लिए व्यायाम, एक्सरसाइज-योगा आदि करने के साथ ही हेल्दी डाइट लेने की भी सलाह देते हैं, लेकिन जब आप बीमार हों तो आपको अपनी सेहत का खासतौर पर खयाल रखने की जरूरत होती है। 




सूप और सेब


























चिकनगुनिया का इलाज अभी तक खोजा नहीं जा सका है। लेकिन, फिर भी डॉक्‍टरों का कहना है कि इस बीमारी से उबरने में आहार की विशेष भूमिका होती है। यदि आपका आहार सही हो और इसके साथ ही आप कुछ घरेलू उपाय अपनाएं तों आप इस बीमारी के प्रकोप को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
इस बीमारी का सबसे अच्‍छा इलाज तो यही है कि इसे होने ही न दिया जाए। लेकिन, फिर भी आप अगर इस बीमारी के शिकार हो गए हैं, तो बेहतर है कि आप स्‍वयं को इसके प्रभाव से बचा सकते हैं।
जहां तक घरेलू उपायों की बात है, तो कई लोगों की नजर में ये अधिक सुरक्षित और कारगर होते हैं। साथ ही इन उपायों को किफायती भी माना जाता है। ये घरेलू उपाय प्रकृति के साथ सामंजस्‍य बैठा कर काम करते हैं। इसलिए ये बीमारी से पूरी तरह राहत दिलाने की पद्धति पर काम करते हैं। और साथ ही मानव शरीर को उस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार भी करते हैं ये घरेलू नुस्‍खे। ये इनसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं और साथ ही उसे बीमारी के दुष्‍प्रभाव से उबरने में सहायता भी प्रदान करते हैं।

चिकनगुनिया होने पर आप इन घरेलू उपायों को आजमा सकते हैं-

पानी अधिक पिएं
पानी आपके शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। चिकनगुनिया होने पर आपके शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में अगर आप पर्याप्‍त मात्रा में पानी नहीं पिएंगे तो आपको डिहाइड्रेशन यानी निर्जलीकरण की समस्‍या हो सकती है, जो आपके लिए अच्‍छा नहीं होगा।

    आराम करें
    चिकनगुनिया के कारण आपका शरीर काफी थक जाता है। इससे शरीर में काफी कमजोरी आ जाती है। इस कमजोरी को दूर करने के लिए शरीर को पर्याप्‍त मात्रा में आराम करना जरूरी होता है। आराम करने से आपकी मांसपेशियों को राहत मिलती है और उन्‍हें बीमारियों के दुष्‍प्रभाव से उबरने का पर्याप्‍त समय मिल जाता है।


    चॉकलेट यानी मीठा इलाज
    चिकनगुनिया होने पर इसका असर व्‍यक्ति के रक्‍तचाप पर भी पड़ता है। व्‍यक्ति का रक्‍तचाप कम होने से व्‍यक्ति का स्‍वभाव भी बिगड़ जाता है। इसके साथ ही उसे काफी पसीना आता है और वह काफी थका हुआ महसूस करता है। ऐसे में चॉकलेट खाने से उसे राहत मिलती है। चॉकलेट में मौजूद तत्‍व और ग्‍लूकोज शरीर में घुलकर व्‍यक्ति को आराम और ऊर्जा प्रदान करते हैं। 

    दूध और डेयरी उत्‍पाद
    दूध से बने उत्पाद, दूध-दही या अन्य। चीजों का सेवन भी खूब करना चाहिए।
    नीम के पत्ते
    नीम के पत्तों को पीस कर उसका रस निकालकर चिकनगुनिया से ग्रसित व्यक्ति को दें।

    क्या आप जानते हैं.

    नेत्रज्योति बढ़ाने के लिएःत्रिफला चूर्ण को रात्रि में पानी में भीगोकरसुबह छानकर उसपानी से आँखें धोने 

    से नेत्रज्योति बढ़ती है।

    कान में पीब(मवादहोने परः शुद्ध सरसों या तिल के तेल में लहसुन की कलियोंको 
    पकाकर 1-2 बूँद 

    सुबह-शाम कान में डालने से फायदा होता है।

    हिचकीः हिचकी बन्द  हो रही हो तो पुदीने के पत्ते या नींबू चूसें।

    पपीते खाने से क्या फायदा है पपीता में पोसक तत्व भरपूर मात्रा में होता हैजिससेआपकी त्वचा में निखार 
    आता है। त्वचा जवां नजर आती हैझुर्रियाँ कम पड़ती हैंत्वचा में पतलापन  सूखापननहीं होता। यह त्वचा 
    को जरूरी पोषण देता है।

    केसर बड़े काम की चीज है केसर गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान है। केसर इम्यूनसिस्टम को मजबूत 
    करता है। इससे गर्भस्थ शिशु का अच्छा विकास होता हैयानी शारीरिक और मानसिकविकास। यह माँ को 
    शक्तिशाली बनाता है। केसर सुरक्षित डिलिवरी के वास्ते बेहद जरूरी है। यह स्त्रियों कीशारीरिक सुंदरता को 
    बनाये रखता है। त्वचा में निखार लाता है। गर्भवती महिलाओं को रोज जरा सा केसरडाल कर दूध उबाल कर 
    पीना चाहिए।

    नारियल तेल से आपकी सुंदरता बढ़ती है। यह हमारी त्वचा को खूबसूरत बनाता है।यह त्वचा का रूखापन 
    दूर करता है। यदि एड़ियाँ फटी होंतो रात को लगा कर सो जायेंकुछ दिनों में ठीक होजायेगा। यह त्वचा के 
    दाग-धब्बे  निशान को साफ करता है। बालों को चमकदार बनाता हैउन्हें पोषण देताहै। चेहरे  शरीर पर 
    नारियल तेल की हल्के हाथों से मालिश करें। यह झुर्रियों को उम्र से पहले आने से रोकताहै।
    छाछ : क्या आप जानते हैं कि छाछ गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में अमृत है। इसेसेंधा नमकभुना जीरा
    काली मिर्च डाल कर लें। यह पाचन क्रिया ठीक रखने और शरीर को फुर्तीला रखने मेंसहायक है।

    दवा से बेहतर व्यायाम हैक्या छोटेक्या बड़ेक्या मोटेक्या पतलेक्या किसीखास बीमारी के शिकार हैं 
    यानी रक्तचाप मधुमेह में विशेषज्ञ की सलाह से व्यायाम करें। हर तरह के विकार को दूरकर चुस्तदुरुस्त  
    फुर्तीला बनायेगा। व्यायाम का रूटीन बनाये रखें।

    आहार को ताकतवर कैसे बनाया जायेरोजाना आहार में फल-सब्जियों को जगहअवश्य दें।चोकर सहित 
    (मोटा आटापुराना तथा बिना पॉलिश का चावल खायें।डिब्बा बंद आहार की जगह घरका सादा ताजा भोजन 
    करें।थोड़ी मात्रा में सूखे मेवे अवश्य लें। नमक जरा कम लें।प्रतिदिन 10 गिलास पानीपियें।सब्जियों को 
    पकाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल करें।

    Health benefits of aloe vera in skin

    Increased skin brightness Aloe withdraw the body from toxic substances cleaning the inside of the body. Which comes glowing skin and al...