Friday, 16 May 2014

पानी से रोगों की छुट्टी: तांबे के पात्र में पानी : Water in copper vessels :

  रोज पिएंगे तांबे के बर्तन का पानी तो इन 10 बड़े रोगों की छुट्टी हो जाएगी






उज्जैन। कहते हैं कि रात को तांबे के पात्र में पानी रख दें और सुबह इस पानी को पिएं तो अनेक फायदे होते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि यह पानी शरीर के कई दोषों को शांत करता है। साथ ही, इस पानी से शरीर के जहरीले तत्व बाहर निकल जाते हैं। रात को इस तरह तांबे के बर्तन में संग्रहित पानी को ताम्रजल के नाम से जाना जाता है।
ये ध्यान रखने वाली बात है कि तांबे के बर्तन में कम से कम 8 घंटे तक रखा हुआ पानी ही लाभकारी होता है। जिन लोगों को कफ की समस्या ज्यादा रहती है, उन्हें इस पानी में तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए। बहुत कम लोग जानते हैं कि तांबे के बर्तन का पानी पीने के बहुत सारे फायदे हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से होने वाले कुछ बेहतरीन फायदों के बारे में...
स्किन को बनाए स्वस्थ- अधिकतर लोग हेल्दी स्किन के लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स का उपयोग करते हैं। वो मानते हैं कि अच्छे कॉस्मेटिक्स यूज करने से त्वचा सुंदर हो जाती है, लेकिन ये सच नहीं है। स्किन पर सबसे अधिक प्रभाव आपकी दिनचर्या और खानपान का पड़ता है। इसीलिए अगर आप अपनी स्किन को हेल्दी बनाना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में रातभर पानी रखें और सुबह उस पानी को पी लें। नियमित रूप से इस नुस्खे को अपनाने से स्किन ग्लोइंग और स्वस्थ लगने लगेगी।
थायराइड को करता है नियंत्रित-
थायरेक्सीन हार्मोन के असंतुलन के कारण थायराइड की बीमारी होती है। थायराइड के प्रमुख लक्षणों में तेजी से वजन घटना या बढ़ना, अधिक थकान महसूस होना आदि हैं।
थायराइड एक्सपर्ट मानते है कि कॉपर के स्पर्श वाला पानी शरीर में थायरेक्सीन हार्मोन को बैलेंस कर देता है। यह इस ग्रंथि की कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित करता है। तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से रोग नियंत्रित हो जाता है।
गठिया में होता है फायदेमंद- आजकल कई लोगों को कम उम्र में ही गठिया और जोड़ों में दर्द की समस्या सताने लगती हैं। यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो रोज तांबे के पात्र का पानी पिएं।
गठिया की शिकायत होने पर तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पीने से लाभ मिलता है। तांबे के बर्तन में ऐसे गुण आ जाते हैं, जिनसे बॉडी में यूरिक एसिड कम हो जाता है और गठिया व जोड़ों में सूजन के कारण होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
हमेशा दिखेंगे जवान-
कहते हैं, जो पानी ज्यादा पीता है उसकी स्किन पर अधिक उम्र में भी झुर्रियां दिखाई नहीं देती हैं।
ये बात एकदम सही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप तांबे के बर्तन में जल को रखकर पिएं तो इससे त्वचा का ढीलापन आदि दूर हो जाता है। डेड स्किन भी निकल जाती है और चेहरा हमेशा चमकता हुआ दिखाई देता है।
पाचन क्रिया को ठीक करता है- एसिडिटी या गैस या पेट की कोई दूसरी समस्या होने पर तांबे के बर्तन का पानी अमृत की तरह काम करता है।
खून की कमी करता है दूर-
एनीमिया या खून की कमी एक ऐसी समस्या है जिससे 30 की उम्र से अधिक की कई भारतीय महिलाएं परेशान हैं। कॉपर के बारे में यह तथ्य सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक है कि यह शरीर की अधिकांश प्रक्रियाओं में बेहद आवश्यक होता है।
यह शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने का काम करता है। इसी कारण तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से खून की कमी या विकार दूर हो जाते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में कम से कम 8 घंटे रखा हुआ जल पिएं। इससे राहत मिलेगी और पाचन की समस्याएं भी दूर होंगी।
दिल को बनाए हेल्दी  - तनाव आजकल सभी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। इसीलिए
दिल के रोग और तनाव से ग्रसित लोगों की संख्या तेजी बढ़ती जा रही है। यदि आपके साथ भी ये परेशानी है तो तो तांबे के जग में रात को पानी रख दें।
सुबह उठकर इसे पी लें। तांबे के बर्तन में रखे हुए जल को पीने से पूरे शरीर में रक्त का संचार बेहतरीन रहता है। कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और दिल की बीमारियां दूर रहती हैं।
 कैंसर से लड़ने में सहायक-  कैंसर होने पर हमेशा तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पीना चाहिए। इससे लाभ मिलता है। तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल वात, पित्त और कफ की शिकायत को दूर करता है। इस प्रकार के जल में एंटी-ऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो इस रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, कॉपर कई तरीके से कैंसर मरीज की हेल्प करता है। यह धातु लाभकारी होती है।
सूक्ष्मजीवों को खत्म करता है- तांबे की प्रकृति में ऑलीगोडायनेमिक के रूप में ( बैक्टीरिया पर धातुओं की स्टरलाइज प्रभाव ) माना जाता है। इसीलिए इसके बर्तन में रखे पानी के सेवन से हानिकारक बैक्टीरिया को आसानी से नष्ट किया जा सकता है।
इसमें रखे पानी को पीने से डायरिया, दस्त और पीलिया जैसे रोगों के कीटाणु भी मर जाते हैं, लेकिन पानी साफ और स्वच्छ होना चाहिए।
वजन घटाने में मदद करता है- कम उम्र में वजन बढ़ना आजकल एक कॉमन प्रॉब्लम है। अगर कोई भी व्यक्ति वजन घटाना चाहता है तो एक्सरसाइज के साथ ही उसे तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना चाहिए।
इस पानी को पीने से बॉडी का एक्स्ट्रा फैट कम हो जाता है। शरीर में कोई कमी या कमजोरी भी नहीं आती है।



  












भारतीय परिवार के रसोई में किसी जमाने में तांबे, पीतल, कांसे के बर्तन ही नजर आते थे। स्टील के बर्तन
तो आधुनिक समय की देन है। दरअसल हमारी संस्कृति में तांबे, पीतल और कांसे के बर्तनों का इस्तेमाल करने के पीछे अनेक स्वास्थ्य संबंधी कारण छिपे हुए हैं।
1. भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार तो नियमित रूप से तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से हमारा शरीर चुस्त-दुरूस्त रहता है तथा कब्ज एसिडिटी, अफारा, विविध चर्म-रोग, जोड़ों का दर्द इत्यादि शिकायतों से मुक्ति मिलती है। सवेरे उठकर बिना ब्रश किए हुए एक लीटर पानी पीना स्वास्थ के लिए हितकर होता है। आयुर्वेद की मानें तो ताम्र-धातु से निर्मित ‘जल-पात्र’ सर्वश्रेष्ठ माना गया है। तांबे के अभाव में मिट्टी का ‘जल-पात्र’ भी हितकर बतलाया गया है।
2. तांबा खाद्य- पदार्थों को जहरीला बनाने वाले विषाणुओं को मारने की क्षमता तो रखता ही है, साथ ही कोशिकाओं की झिल्ली और एंजाइम में हस्तक्षेप करता है, जिससे रोगाणुओं के लिए जीवित रह पाना संभव नहीं हो पाता है. तांबे के बर्तन में ई-कोली जैसे खतरनाक जीवाणु नहीं पनप सकते। परीक्षणों से यह
भी साबित हुआ है कि सामान्य तापमान में तांबा सिर्फ चार घंटे में ई-कोली जैसे हानिकारक जीवाणुओं को मार डालता है। इसके विपरीत स्टेनलैस- स्टील के धरातल पर जीवाणु एक महीने से भी ज्यादा समय तक जिंदा रह सकते है
3. तांबे से शरीर को मिलने वाले लाभ- त्वचा में निखार आता है, कील-मुंहासों की शिकायतें भी दूर होती हैं। पेट में रहनेवाली कृमियों का विनाश होता है और भूख लगने में मदद मिलती है। बढ़ती हुई आयु की वजह से होने वाली रक्तचाप की बीमारी और रक्त के विकार नष्ट होने में सहायता मिलती है, मुंह फूलना, घमौरियां आना, आंखों की जलन जैसे उष्णता संबंधित विकार कम होते हैं। एसिडिटी से होने वाला सिरदर्द, चक्कर आना और पेट में जलन जैसी तकलीफें कम होती हैं। बवासीर तथा एनीमिया जैसी बीमारी में लाभदायक । इसके कफनाशक गुण का अनुभव बहुत से लोगों ने लिया है। पीतल के बर्तन में करीब आठ से दस घंटे पानी रखने से शरीर को तांबे और जस्ते, दोनों धातुओं के लाभ मिलेंगे। जस्ते से शरीर में प्रोटीन की वृद्घि तो होती ही है साथ ही यह बालों से संबंधित बीमारियों को दूर करने में भी लाभदायक होता है.
4. बर्मिघम में हुआ शोध शोधकर्ताओं ने अस्पताल में पारंपरिक टॉयलेट की सीट, दरवाजे के पुश प्लेट, नल के हैंडिलस को बदल कर कॉपर की ऎसेसरीज लगा दीं। जब उन्होंने दूसरे पारम्परिक टॉयलेट में उपस्थित जीवाणुओं के घनत्व की तुलना उससे की तो पाया कि कॉपर की सतह पर 90 से 100
फीयदी जीवाणु कम थे। यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल बर्मिघम में हुए इस शोध में अध्ययन दल के प्रमुख प्रोफेसर टॉम एलिएट ने बताया कि बर्मिघम एवं दक्षिण अफ्रीका में परीक्षणों से पता चला है कि तांबे के इस्तेमाल से अस्पताल के भूतल को काफी हद तक हानिकारक जीवाणुओं से मुक्त रखा जा सकता है। कॉपर बायोसाइड से जुड़े शोधों से भी पता चलता है कि तांबा संक्रमण से दूर रखता है। यही तथ्य ताम्रपात्रों पा भी लागू होते हैं
5. आयुर्वेद में रसरत्नसमुच्चय ग्रंथ के पांचवें अध्याय के श्लोक 46 में कहा गया है कि अंदर तथा बाहर से अच्छी तरह से साफ किए हुए तांबे या पीतल (यह मिश्र धातु 70 प्रतिशत तांबा और 30 प्रतिशत जस्ते का संयुग है) के बर्तनों में करीब आठ से दस घंटे तक रखे पानी में तांबे और जस्ते के गुण संक्रमित होते हैं और यह पानी (ताम्रजल) संपूर्ण शरीर के लिए लाभदायक होता है






















6. पानी की अपनी स्मरण-शक्ति होने के कारण हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि उसको कैसे बर्तन
में रखें। अगर आप पानी को रात भर या कम-से- कम चार घंटे तक तांबे के बर्तन में रखें तो यह तांबे के कुछ गुण अपने में समा लेता है। यह पानी खास तौर पर आपके लीवर के लिए और आम तौर पर आपकी सेहत और शक्ति- स्फूर्ति के लिए उत्तम होता है। अगर पानी बड़ी तेजी के साथ पंप हो कर अनगिनत
मोड़ों के चक्कर लगाकर सीसे या प्लास्टिक की पाइप के सहारे आपके घर तक पहुंचता है तो इन सब मोड़ों से रगड़ाते-टकराते गुजरने के कारण उसमें काफी नकारात्मकता समा जाती है। लेकिन पानी में याददाश्त के साथ-साथ अपने मूल रूप में वापस पहुंच पाने की शक्ति भी है। अगर आप नल के इस पानी को एक घंटे तक बिना हिलाये-डुलाये रख देते हैं तो नकारात्मकता अपने-आप खत्म हो जाती है
7. तांबे और चांदी के बैक्टीरिया-नाशक गुण और भी अधिक हो जाते हैं, जब यह धातुएं ’नैनो’ रूप में हों, क्योंकि इस रूप में धातु की सतह को लाखों गुना बढ़ाया जा सकता है। इस वजह से धातु की बहुत कम मात्रा से काम चलाया जा सकता है। ’नैनो-तांबा’ और ’नैनो-चांदी’ पर हुई शोध से यह परिणाम पिछले 10-15 सालों में ही सामने आए हैं और इन्हें वाटर-फिल्टर और एयर-फिल्टर टेक्नालजी में अपनाया जा चुका है। लेकिन विडम्बना यह है कि लोग महंगे-महंगे वाटर-फिल्टर लगवा कर उसका पानी पीना पसंद करते हैं, न कि तांबे के बरतन में रखा पानी। अपने को पढ़ा-लिखा और आधुनिक कहने वाली यह पीढ़ी पुराने तौर-तरीकों को दकियानूसी करार देने में शेखी समझती है, और जब इस पर पश्चिम की मुहर लग जाती है तो उसे सहर्ष गले लगा लेती है।
फ्रीज, प्लास्टिक बॉटल में जल रखने से या आधुनिक तकनीक वाले वॉटर प्यूरीफायर से उसकी Life Force energy शुन्य हो जाती है. प्यूरीफायर से निकला जल निःसंदेह बैक्टीरिया मुक्त होता है परंतु life force energy शुन्य हो जाती है.
मनुष्य शरीर पांच तत्वों से बना है. जल ऊन में से एक तत्व है. आजकल पुराने भारतीय तरीके का त्याग कारण है की हमारे शरीर में जल तत्व की कमी हो रही है, जिससे की किडनी और urinary tract संबंधित बीमारियां बढ़ रही है.
समाज में पानी की life force energy शुन्य होने से नपुंसकता भी बढ़ रही है.. कई बार पानी की बोतल कार में रखी रह जाती है. पानी धुप में गर्म होता है.प्लास्टिक की बोतलों में पानी बहुत देर से रखा हो और तापमान अधिक हो जाए तो गर्मी से प्लास्टिक में से डाइऑक्सिन नामक रसायन निकल कर पानी में मिल जाता है. यह कैंसर पैदा करता है.वॉटर प्यूरीफायर भी प्लास्टिक से ही बनते हैं. इसी तरह प्लास्टिक रैप में या प्लास्टिक के बर्तनों में माइक्रोवेव में खाना गर्म करने से भी यह ज़हरीला रसायन बनता है. विशेषकर तब जब खाने में घी या तेल हो. इसी तरह स्टाइरीन फोम के बने ग्लास और दोनेभी रसायन छोड़ते है ।

रोज नहाने के बाद पीना चाहिए एक गिलास पानी, ये हैं पानी की खास बातें

धर्म डेस्क | 
























रोज नहाने के बाद पीना चाहिए एक गिलास पानी, ये हैं पानी की खास बातें
उज्जैन। देशभर में इस समय सूर्य के प्रकोप से प्रचंड गर्मी बरस रही है। यदि कोई मजबूरी ना हो तो अधिकांश लोग दोपहर में बाहर निकलना नहीं चाहते। गर्मी में अधिक समय तक बाहर घूमने से कई प्रकार के रोग होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। गर्मी से रक्षा के लिए सबसे अधिक जरूरी है कि हमारे शरीर में पर्याप्त पानी हमेशा रहे। यदि शरीर में पर्याप्त रहेगा तो गर्मी से लड़ने की शक्ति मिलती रहेगी। गर्मी के कारण हमारे शरीर से पसीने के रूप में पानी बहुत तेजी से कम होता है, पानी की कमी होगी तो लू लगने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही कई अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं। इनसे बचने के लिए ध्यान रखें समय-समय पर पानी पीते रहे।
विद्वानों के अनुसार पानी पीने के संबंध में कई महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं। हमें किस समय कितना पानी पीना चाहिए, इस बात का ध्यान रखेंगे तो चमत्कारिक रूप से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।




















- यदि कोई व्यक्ति हर रोज सुबह-सुबह उठते ही एक गिलास पानी पीता है तो उसकी पाचन शक्ति हमेशा व्यवस्थित रहती है। शरीर को ऊर्जा मिलती है। यदि पाचन व्यवस्थित रहता है तो कोई भी व्यक्ति लंबी उम्र तक जीवित रह सकता है।
- हर रोज नहाने के बाद हमें एक गिलास पानी पीना चाहिए। इससे रक्त-संचार व्यवस्थित रहता है।
- हर रोज सोने से पहले कम से कम आधा गिलास पानी पीना चाहिए। ऐसा करने पर हार्ट अटैक की संभावनाओं में कमी आती है।
पानी के संबंध में चाणक्य नीति
आचार्य चाणक्य ने बताया है कि गलत समय पर पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं, जब पानी नुकसान पहुंचाता है। अत: इस संबंध यहां बताई गई नीति का ध्यान रखना चाहिए...
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।
भोजने चाऽमृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्।।
इस श्लोक आचार्य ने बताया है कि खाना खाते समय पानी पीने के संबंध में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। खाना सही ढंग से पचने के बाद ही हमारे शरीर को कार्य करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। अत: खाना खाते समय पानी के संबंध में यहां दी गई नीति का ध्यान रखना चाहिए।
खाने के एकदम बाद न पीएं पानी

























आचार्य के अनुसार भोजन के एकदम बाद पानी तक नहीं पीना चाहिए। जब तक भोजन पच ना जाए, तब तक पानी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। यदि कोई व्यक्ति भोजन के तुरंत बाद पानी पी लेता है तो उसके पाचन तंत्र को भोजन पचाने में परेशानियां होती हैं। यदि खाना ठीक से पचेगा नहीं हो तो शरीर को उचित ऊर्जा प्राप्त नहीं हो पाएगी। अपच की स्थिति में पेट संबंधी रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
भोजन के तुरंत बाद पानी पीने पर वह विष के समान कार्य करता है, भोजन पचने में रुकावट पैदा करता है। यदि हम चाहे तो भोजन के बीच-बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पी सकते हैं, लेकिन अधिक पानी पीना नुकसानदायक हो सकता है।
कब पीएं पानी
चाणक्य कहते हैं कि जब खाना पूरी तरह पच जाए तो उसके बाद पानी पीना चाहिए। खाना पचने के बाद पानी पीने पर वह अमृत के समान काम करता है। शरीर को भरपूर ऊर्जा प्रदान करता है और पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहता है। पाचन तंत्र के स्वस्थ होने पर पेट भी ठीक रहता है। पेट ठीक होने से कब्ज, गैस, अपच आदि समस्याएं नहीं होती हैं।
























ध्यान रखें, भोजन से कुछ देर पहले एक-दो गिलास पानी पी सकते हैं। खाना खाते समय बीच-बीच में एक-दो घूंट पानी पीना लाभदायक होता है। ऐसा करने पर खाना जल्दी पचता है। साथ ही, पाचन शक्ति भी बढ़ती है।
आगे जानिए पानी के संबंध में कुछ और आवश्यक नियम...
- हमें जब भी प्यास लगे, तब कम से कम एक गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए। ऐसा करने पर हमारा शरीर पानी की कमी को पूरा कर लेता है।
- परिश्रम वाले काम करने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। मेहनत वाले काम करने के बाद कम से कम आधे घंटे बाद पानी पीना चाहिए।
- अभी गर्मी के दिन है तो इस बात का ध्यान रखें कि धूप में घुमने के बाद घर लौटकर एकदम पानी नहीं पीना चाहिए। धूप में घुमने से शरीर एकदम गर्म रहता है और इस परिस्थिति में पानी पीने पर स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
- लू लग जाने पर ठंडा पानी व सर्दी लग जाने पर गर्म पानी पीना चाहिए। ऐसा करने पर शरीर को राहत मिलती है।
जल ही सभी प्राणियों के जीवन का आधार है और हमारी अच्छी सेहत के लिए भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये बात तो सभी जानते हैं कि पानी से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं, लेकिन पानी से कई प्रकार के चमत्कारी लाभ भी प्राप्त किए जा सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को किस्मत का साथ नहीं मिल पा रहा है, कार्यों में असफलता मिल रही हो, जीवन में दुख लगातार बने रहता है, घर-परिवार में परेशानियां चल रही हों तो पानी के कुछ चमत्कारी उपाय करने पर इन सभी परेशानियों से निजात मिल सकती है। शास्त्रों के अनुसार पानी से किए जाने वाले कुछ उपाय बताए गए हैं, जिनसे बुरे समय में भी शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं-
शुभ मुहुर्त में रात को सोने से पहले करें पानी का ये उपाय
रात को सोने से पहले एक तांबे के लोटे में जल भरकर अपने सिर के पास रखें। ध्यान रखें लोटा इस प्रकार रखें कि जब हम सो जाए तब नींद में वह हमसे ढुल ना जाए। सुबह उठने पर इस लोटे के जल को किसी बबूल के पेड़ की जड़ में चढ़ा दें। यह उपाय किसी भी शुभ मुहुर्त में किया जा सकता है। इस उपाय आपके आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी। यदि किसी की बुरी नजर होगी तो वह भी उतर जाएगी।
हर शनिवार पीपल को जल चढ़ाएं
यदि आप हर शनिवार पीपल में जल चढ़ाएंगे तो शनि दोष से मुक्ति मिलेगी और सभी देवी-देवताओं की कृपा मिलेगी।

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