आप जो बिस्किट, टॉफी या आइसक्रीम स्वास्थ्यवर्धक मानकर स्वाद-स्वाद में खा रहे हैं। आगे चलकर वह आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। केवल स्थानीय कंपनियाँ ही नहीं कई बड़ी-बड़ी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पाद भी इसी श्रेणी में आ सकते हैं। कारण है कि कुछ बड़ी कंपनियों ने अपने उत्पाद तैयार करने के लिए जीन परिवर्तित (जेनेटिकली मॉडिफाइड) यानी जीएम खाद्य वस्तुओं का प्रयोग करने से साफ तौर पर मना नहीं किया है।
मंगलवार को नई दिल्ली में ग्रीनपीस द्वारा जारी 'जीएम मुक्त खाद्यान्न' नाम से दिशा निर्देशों संबंधी किताब में इसका खुलासा किया गया है। यह किताब ऐसे समय में जारी की गई है जब सरकार बीटी बैंगन की खेती के लिए हरी झंडी देने की तैयारी में है। संगठन के जय कृष्णा ने कहा कि बीटी खाद्यान्न लोगों की सेहत पर क्या प्रभाव डालते हैं इसका अभी कोई परीक्षण मौजूद नहीं है। जीएम खाद्यान्नों के संबंध में चूहों पर प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों से एलर्जी, लीवर और किडनी पर दुष्प्रभाव के प्रमाण सामने आए हैं।
किताब में हरे और लाल रंग में कुल दो सूचियाँ जारी की गई हैं। फिलहाल देश में जीन परिवर्तित खाद्य पदार्थों का उत्पादन, प्रयोग और आयात करने पर प्रतिबंध है। ग्रीनपीस के सैयद महबूब ने बताया कि बहुत सी बड़ी कंपनियों ने भविष्य में अपने उत्पादों में जीएम खाद्यों का प्रयोग करने से स्पष्ट इनकार नहीं किया है। ऐसी कंपनियों को किताब में लाल सूची में रखा गया है। ब्रिटानिया, सफल, हिंदुस्तान लीवर, नेस्ले, कैलॉग्ज, कैडबरीज, एग्रोटेक फूड्स, फील्ड फ्रेश, और गोदरेज की हर्शीग फूड्स को इसी सूची में रखा गया है।
ये कंपनियाँ बड़े स्तर पर बिस्किट, आइसक्रीम, टॉफी-गोली, चॉकलेट, दुग्ध उत्पाद और अन्य खाद्य पदार्थों का उत्पादन कर बेचती हैं। ग्रीनपीस के मुताबिक जीन संवर्धित उत्पाद स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक होते हैं। बीटी बैंगन के बाद टमाटर, धान, सरसों, आलू, प्याज, बंदगोभी, फूल गोभी, मक्का, सेब, केला, चना, गेहूँ सहित 41 चीजें जीन परिवर्तन के अलग-अलग प्रयोगों की स्थिति में हैं। आईटीसी फूड्स, रुचि सोया, हल्दीराम, डाबर और एमटीआर को हरी सूची में रखा गया है।
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